जानिए, क्यों नए नोटों की नकल बनाने में लगेंगे 5 साल?

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2016 02:38 PM

here  s why it will take 5 years to duplicate the new notes

500 व 2000 के नए नोटों की रंगीन फोटोकॉपी कर कुछ जालसाजों ने ठगने की कोशिशें जरूर कीं,

नई दिल्लीः 500 व 2000 के नए नोटों की रंगीन फोटोकॉपी कर कुछ जालसाजों ने ठगने की कोशिशें जरूर कीं, लेकिन असल में इन नोटों के सिक्यॉरिटी फीचर्स इतने मजबूत हैं, कि इनकी नकल अगले 5 सालों तक नहीं बनाई जा सकती।

इंटेगलियो प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कितना भी दिमाग और टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर लिया जाए, इन नोटों की नकल बनाने में 5 साल से ज्यादा लग जाएंगे। नए नोटों की छपाई तकनीक विशेष फीचर्स के चलते फर्जी नोट बनाने वाले अपने मंसूबों में अगले 5 साल तक कामयाब नहीं होने वाले। फेक इंडियन करंसी डिटेक्शन नोट किट के निर्माता विवेक खरे कहते हैं, 'नए 2000 रुपए के नोट की नकल तैयार करना मुश्किल है। इसमें इंटेगलियो प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल हुआ है न कि ड्राई-ऑफसेट प्रिंटिंग का।' खरे के मुताबिक, 'आउटसोर्सिंग के चलते 1000 रुपए के नोट की नकल बनाना आसान हो गया था।'

स्वदेशी स्याही का प्रयोग 
खरे ने बताया कि इंटेगलियो प्रिंटिंग ड्राई-ऑफसेट प्रिंटिंग जितनी आम नहीं है। नए नोटों में प्रयोग की गई स्याही स्वदेशी है। वह बोले, '2000 रुपए के नोट पर बना रंगोली के आकार का वॉटरमार्क पुराने नोटों पर बने वॉटरमार्क से कहीं ज्यादा सुरक्षित है।' खरे यह इनपुट उस जालसाज के आधार पर दे रहे हैं, जो बीते 20 सालों से नकली नोटों के धंधे में रहा।

पेपर्स का पता लगाने में ही लग जाएंगे 2 साल
उन्होंने कहा, 'पहले पाकिस्तान में भारतीय करंसी की छपाई आसान थी। उनके पास समान स्याही, पेपर रहता था जिससे सिक्यॉरिटी फीचर्स में सेंध लगाकर नकली नोट चलन में फैला दिए जाते थे।' वह बोले, 'अब किसी को नहीं पता कि किस तरह के पेपर्स का प्रयोग हुआ है। सिर्फ पता लगाने में ही किसी को दो साल लग जाएंगे।'

पहले नोट से हैं काफी अलग
जालसाजों की तरफ से आ रही बातों में एक यह भी कि पेपर के साथ-साथ जो डाई नए नोटों में प्रयोग की गई है,वह भी अलग है। पुराने नोटों की अपेक्षा नए नोट एकदम चिकने नहीं हैं, कहीं-कहीं उभरे हुए भी हैं, जिससे फर्जी नोट बनाना बेहद मुश्किल है। इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट के डेटा के मुताबिक , हर 10 लाख में से 250 नोट फर्जी निकल रहे थे। स्टडी से सामने आया कि हर साल सिस्टम में 70 करोड़ नकली करंसी संचार में आ रही थी और जांच एजेंसियां सिर्फ एक तिहाई का ही पता लगा पा रही थीं।

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