नोटबंदी और हड़ताल से सोने की मांग में ऐतिहासिक गिरावट

Edited By ,Updated: 03 Feb, 2017 05:21 PM

historic decline in demand for gold due to notbandi

नोटबंदी और लंबी हड़ताल के कारण वर्ष 2016 में देश में सोने की जेवराती मांग 22 प्रतिशत घटकर ..

नई दिल्लीः नोटबंदी और लंबी हड़ताल के कारण वर्ष 2016 में देश में सोने की जेवराती मांग 22 प्रतिशत घटकर 514 टन रह गई। वर्ष 2015 में यह 662.3 टन रही थी। विश्व स्वर्ण परिषद् द्वारा आज जारी आंकड़ों में कहा गया है कि भारतीय मांग में 148.3 टन की गिरावट उसके रिकॉर्ड में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। साथ ही देश में निवेश मांग भी वर्ष 2015 के 194.9 टन से 17.09 प्रतिशत घटकर 161.6 टन रह गई। इस प्रकार कुल मांग 857.2 टन से 21.19 प्रतिशत कम होकर 675.6 टन रह गई।  हालांकि, अब भी चीन के बाद सोने का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भारत ही बना हुआ है। चीन में वर्ष 2015 में कुल मांग 981.5 टन रही थी, जो 6.92 प्रतिशत घटकर 913.6 टन रह गई।

परिषद् ने अपनी रिपोर्ट में कहा, वर्ष 2016 में भारत में सोने के आंकड़े एकत्र करने के लिए परिस्थितियां काफी चुनौतीपूर्ण रहीं। पहली तिमाही में सर्राफा कारोबारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल ने स्वर्ण उद्योग को लगभग पूरी तरह ठप कर दिया। चौथी तिमाही में जब अघोषित आय पर लगाम कसने के लिए सरकार ने पुराने बड़े नोटों को बंद करने का फैसला किया तो दोबारा दिक्कतें पेश आईं। इससे सोने की कुछ मांग ग्रे मार्केट (कालाबाजार) में स्थानांतरित हो गई। जब इसके बारे में और आंकड़े सामने आएंगे तो अपने आंकड़ों में उसके अनुसार बदलाव कर सकते हैं।

मौजूदा वर्ष के बारे में परिषद् का कहना है कि हालांकि नोटबंदी का सर्वाधिक प्रभाव ग्रामीण समुदाय पर पड़ा है, लेकिन यह प्रभाव अस्थाई रहने की उम्मीद है। अच्छे मानसून के बाद किसानों की अच्छी आमदनी से भविष्य में सोने की मांग बढ़नी चाहिए। पिछला मानसून अच्छा रहा था और ग्रामीण आय तुलनात्मक रूप से बढ़ी है। यह सोने की मांग के लिए शुभ संकेत है। उसने कहा, वर्ष 2017 के पहले कुछ सप्ताह में मांग सुस्त बनी रही क्योंकि उद्योग सोने पर सीमा शुल्क की दरों की पुष्टि के लिए बजट का इंतजार कर रहा था। साथ ही इस साल के उत्तराद्र्ध में वस्तु एवं सेवा कर की दरों के बारे में और स्पष्टता आने से हम लोगों द्वारा टाल दी गई खरीदारी से अच्छी मांग की उम्मीद करते हैं। वैश्विक स्तर पर भी मांग में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह वर्ष 2015 के 2,388.6 टन से घटकर 2016 में 2,041.6 टन रह गई जो 7 साल का निचला स्तर है। 

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