होम बायर्स की दिलचस्पी अब प्री-लांचिंग की जगह रैडी टू मूव प्रॉपर्टी पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Dec, 2017 10:10 AM

home buyers interest is now on the ready to move property

मंदी के चलते प्रॉपर्टी की खरीद- फरोख्त के तरीकों में भी बड़ा बदलाव आया है। निवेशक की पसंद अब प्री- लांचिग फ्लैट हैं और निवेशक अब उन्हीं फ्लैटों में अपना पैसा लगाना चाहता है,इसलिए बिल्डर ने भी ट्रैंड में बदलाव किया है। अब बिल्डर्स अपने प्रोजैक्ट को...

जालंधरः मंदी के चलते प्रॉपर्टी की खरीद- फरोख्त के तरीकों में भी बड़ा बदलाव आया है। निवेशक की पसंद अब प्री- लांचिग फ्लैट हैं और निवेशक अब उन्हीं फ्लैटों में अपना पैसा लगाना चाहता है,इसलिए बिल्डर ने भी ट्रैंड में बदलाव किया है। अब बिल्डर्स अपने प्रोजैक्ट को लगभग 60 प्रतिशत पूरा कर रहे हैं और उसके बाद उसे मार्कीट में लांच कर रहे हैं। जे.एल.एल. रियलटी रिपोर्ट के अनुसार इससे रियलटी मार्कीट में खरीद-फरोख्त शुरू हो गई है। जारी रिपोर्ट के तहत निवेशकों ने भी इसे पसंद किया है। मौजूदा समय में निवेशक और बायर रैडी टू मूव फ्लैट ही पसंद कर रहे हैं। जे.एल.एल. रिपोर्ट के दावे के मुताबिक दिल्ली एन.सी.आर. में तीन माह की रिपोर्ट में बताया गया कि बायरों ने रैडी टू मूव अपार्टमैंट को पसंद किया है और उनको खरीदा भी है, जबकि अधूरे प्रोजैक्ट और अपकपिंग प्रोजैक्टों की तरफ बायर आकर्षित नहीं हुआ है।

रैडी टू मूव प्रॉपर्टी का बिल्डर और निवेशक दोनों को ही फायदा  
ऐसा नहीं है कि रैडी टू मूव प्रॉपर्टी की तरफ निवेशक केवल इसलिए आकर्षित हुआ है कि उसे पैसा देने पर तुरंत ही फ्लैट मिल जाएगा। बल्कि उसे जी.एस.टी. में भी राहत मिलेगी। वहीं बिल्डर के कम्प्लीशन कर बेचे गए प्रोजैक्ट रेरा की परिधि से बाहर भी होंगे। बता दें कि बिना ऑक्युपेशनल सर्टीफिकेट वाले अंडर-कंस्ट्रक्शन रियल्टी प्रोजैक्ट्स को हाल ही में लागू हुए रियल एस्टेट (रैग्युलेशन एंड डिवैल्पमैंट) एक्ट , 2016 के तहत रजिस्टर्ड करवाना जरूरी है। इन प्रोजैक्ट्स पर 12 प्रतिशत का जी.एस.टी. भी लगता है लेकिन वह प्रॉपर्टी जिसका निर्माण रेरा लागू होने से पहले 70 फीसदी पूरा हो गया है वह इसके दायरे में नहीं आती और ये लोग जी.एस.टी. की पुरानी दर के तहत अपनी रजिस्ट्री के लिए छूट पा सकते हैं। इस संबंध में सेवियर ग्रुप के सी.एम.डी. संजीव रस्तोगी ने बताया कि मौजूदा हालातों में बिल्डर्स के पोर्टफोलियो में कुल प्रॉपर्टीज की तुलना में रैडी-टू-मूव अपार्टमैंट्स का अनुपात बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है, जो पिछले वर्ष 5 प्रतिशत था। इन अपार्टमैंट्स के लिए होम बायर्स का रिस्पॉन्स अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट्स की तुलना में काफी बेहतर है। ये मार्कीट के लिए अच्छा रिस्पांस है।

आखिर क्यों रैडी टू मूव बनी पहली पसंद
हाल के तीन वर्षों के रिकार्ड को देखें तो यूनीटैक, महागून, सुपरटैक, आम्रपाली समेत अधिकांश बिल्डर सरकारी एजैंसियों की जारी डिफाल्टरों की सूची में आ चुके हैं। कई डिवैल्पर्स मार्कीट को छोड़ कर भाग चुके हैं। इसके अलावा 3 लाख बायर जिन्होंने यूनिट खरीदे और उसके बाद भी अभी तक उन्हें घर नहीं मिला है। ये लोग मौजूदा समय में बिल्डर के दरवाजों के चक्कर काट रहे हैं,ऐसे में निवेशकों ने रियलटी मार्कीट से नाता-सा तोड़ लिया है। हाल में जब कमॢशयल मार्कीट की तरफ लोगों का ध्यान गया तो पाया गया कि कुछ यूनिटों में खरीद-फरोख्त शुरू हुई जिसके बाद देखा गया कि निवेशक अब उसी प्रॉपर्टी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं जो पूरी तरह से तैयार है।

राजधानी दिल्ली में अब बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टीफिकेट मिलेगा 
एक सप्ताह में राजधानी में रियलटी मार्कीट के न सुधरने का सबसे बड़ा कारण कंप्लीशन सर्टीफिकेट की देरी को बताया गया था। इस संबंध में एन.डी.एम.सी. समेत डी.डी.ए. ने भी शहरी विकास मंत्रालय को एक प्रोपोजल दिया था जिसमें कहा गया था कि सभी एजैंसियां अगर एक भूतल के नीचे बिल्डिंग से संबंधित शिकायतों को निस्तारित करे और बिल्डिंग कंप्लीशन एक साथ दे तो इसके अच्छे असर देखने को मिलेंगे। अब हफ्ते भर या उससे भी कम समय में कंप्लीशन सर्टीफिकेट देने के लिए बिल्डिंग का सिंगल ज्वायंट इंस्पैक्शन किया जाएगा। दिल्ली की तीनों एम.सी.डी. में इस नियम को लागू किया जाएगा। इसके चलते राजधानी में रैजीडैंशियल, कमर्शियल, दिल्ली की हाईराइज रैजीडैंशियल, कमर्शियल या इंस्टीच्यूशनल बिल्डिंगों में रहने वाले लोग वर्षों या महीनों से कंप्लीशन सर्टीफिकेट के लिए एम.सी.डी. दफ्तरों का चक्कर काट कर रहे हैं।      

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!