जी.एस.टी. से महंगे होंगे मकान!

Edited By ,Updated: 24 Sep, 2016 04:21 PM

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अभी तो टैक्स लगभग 14 प्रतिशत लग रहा है लेकिन जी.एस.टी. में यह सम्पत्ति की कीमत का करीब 20 से 22 प्रतिशत हो सकता है।

जालंधरः अभी तो टैक्स लगभग 14 प्रतिशत लग रहा है लेकिन जी.एस.टी. में यह सम्पत्ति की कीमत का करीब 20 से 22 प्रतिशत हो सकता है। रियल एस्टेट बाजार के जानकारों का कहना है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जी.एस.टी. से रियल एस्टेट सैक्टर के कामकाज में पारदर्शिता आ सकती है और इससे मकान खरीदना भी सस्ता हो सकता है परंतु ऐसा तभी होगा, जब जी.एस.टी. मकानों की खरीदारी पर लगने वाले सभी करों की दर से कम होगा। 

टैक्स सलाहकारों का कहना है कि मॉडल जी.एस.टी. लॉ में सैक्टर को लेकर एक दिक्कत बनी हुई है जिसे अब तक नजरअंदाज किया गया है। इसके चलते स्टैम्प ड्यूटी सहित मकान खरीदार की ओर से चुकाए जाने वाले कुल टैक्स में वृद्धि हो सकती है। अभी तो टैक्स लगभग 14 प्रतिशत लग रहा है लेकिन जी.एस.टी. में यह सम्पत्ति की कीमत का करीब 20 से 22 प्रतिशत हो सकता है। 

मॉडल जी.एस.टी. के अनुसार उन मामलों में इनपुट टैक्स क्रैडिट उपलब्ध नहीं होगा जिनमें गुड्स और सर्विसेज के इस्तेमाल से बना एंड प्रॉडक्ट प्लांट और मशीनरी छोड़कर कोई अन्य अचल सम्पत्ति होगी। यदि बिल्डर्स मकान बना रहे हैं तो एंड प्रॉडक्ट इमारत होगी जो एक अचल सम्पत्ति होगी।

जानकारों के अनुसार इससे मकान खरीदारों के लिए मल्टीपल टैक्सेशन हो जाएगा क्योंकि बिल्डर नॉन क्रैडिटेबल टैक्स का बोझ खरीदारों पर डाल देंगे क्योंकि उनको मकान के लिए अपने से वसूल की जाने वाली रकम पर जी.एस.टी. देना होगा और रजिस्ट्रेशन के लिए भी स्टैम्प ड्यूटी देनी होगी। 

अनुमान के अनुसार यदि बिल्डर को टैक्स क्रैडिट नहीं मिलता है तो मकान खरीदारों पर लगने वाला टैक्स मौजूदा 14 से 16 प्रतिशत बढ़कर कुल 20 से 22 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। एक अन्य जानकार के अनुसार जी.एस.टी. में कमर्शियल सम्पत्ति बनाने वाले डिवैल्पर्स को टैक्स क्रैडिट नहीं मिलेगा लेकिन आवासीय प्रॉपर्टी डिवैल्पर इससे प्रभावित नहीं होंगे। 

अधिकतर बिल्डर्स का भी कहना है कि उन्हें मॉडल जी.एस.टी. लॉ के इस पहलू के बारे में साफ पता नहीं है लेकिन उनका कहना है कि यदि उनको इनपुट टैक्स क्रैडिट नहीं दिया जाता है तो यह नैगेटिव चीज होगी। कहा यह भी जा रहा है कि मल्टीपल टैक्स के चलते अभी हो रही दिक्कतें जी.एस.टी. में घटेंगी। इससे पक्के तौर पर सबके लिए समान मौका मिलेगा। वैट, सेवा कर, सैंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज ड्यूटी सहित कई ऐसे टैक्स की जगह जी.एस.टी. लेगा जो अब तक बिल्डर चुकाते रहे हैं। इनमें से कई टैक्स के चलते डबल टैक्सेशन की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि बिल्डर्स को इनपुट टैक्स पर क्रैडिट नहीं दिया जाता है तो इससे प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ेगी और उसका असर खरीदारों पर होगा। 

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