जानिए रियल एस्टेट के लिए कैसा रहेगा यह फैस्टिव सीजन?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 11:40 AM

how it will be for real estate this festive season

लम्बे वक्त से रियल एस्टेट सैक्टर में सुस्ती का दौर जारी है। हाल के दिनों में कई कारण हैं जिनकी वजह से देश भर में ...

जालंधरः लम्बे वक्त से रियल एस्टेट सैक्टर में सुस्ती का दौर जारी है। हाल के दिनों में कई कारण हैं जिनकी वजह से देश भर में घर खरीदने के इच्छुक लाखों लोग असमंजस में हैं। कई लोग निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं में फंसे होने, कई बिल्डर्स के दीवालिया होने और फ्लैट्स की कीमतों के लगभग ठहर जाने से घबराए हुए हैं। कुछ ही दिनों में श्राद्ध खत्म होने के बाद फैस्टिव सीजन यानी त्यौहारों का दौर शुरू होने जा रहा है परंतु वर्तमान माहौल में पहले नोटबंदी तथा जी.एस.टी. के बाजार पर असर से लोगों की उलझनें और बढ़ गई हैं। कितने ही लोग इस फैस्टिव सीजन में अपने एक अद्द आशियाने का सपना सच करना चाहते होंगे परंतु पिछले कुछ महीनों में हुए बदलावों ने उनकी झिझक और बढ़ा दी है।

नई लांचिंग हुई कम
देश में रियल एस्टेट सैक्टर की बढ़ती मुसीबतों के कारण आवासीय परियोजनाओं की नई लांचिंग में भी बड़ी कमी आई है। आगामी फैस्टिव सीजन में मुम्बई, गुरुग्राम और बेंगलूर जैसे प्रमुख रिहायशी बाजारों में नई रियल एस्टेट परियोजनाओं के शुरू होने में गत वर्ष की तुलना 10 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम 2016 यानी रेरा और नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जी.एस.टी. के लागू होने के कारण रियल एस्टेट कम्पनियां फिलहाल अनुपालन सुनिश्चित करने में व्यस्त हैं। रेरा कानून के तहत डिवैल्परों को अपनी परियोजनाएं रेरा प्राधिकरण में पंजीकृत कराना अनिवार्य किया गया है। इसके तहत 70 प्रतिशत परियोजना राशि को एस्क्रो खाते में रखने का प्रावधान है। साथ ही परियोजना शुरू होने से पहले की तमाम पेशकश पर रोक लगा दी गई है जो डिवैल्परों के लिए रकम जुटाने का प्रमुख जरिया था। वर्ष 2016 की दूसरी छमाही के बाद शुरू होने वाली नई रियल एस्टेट परियोजनाओं की संख्या में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2017 की पहली छमाही के दौरान प्रमुख शहरों में 40,600 नई परियोजनाएं शुरू हुई थीं। इसमें मुंबई और बेंगलूर अग्रणी रहे। नीचे हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन वजहों से इस फैस्टिव सीजन में खरीदें मकान।
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सुधर रहे हैं हालात 
देश भर में जारी स्मार्ट सिटी, मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और ईज ऑफ डूइंग बिजनैस जैसे उपायों की बदौलत जॉब और शहरों को गति मिल रही है। यही वजह है कि ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स सिटी की रैंकिंग में दुनिया के 10 सबसे तेज विकास कर रहे शहरों में 6 भारत के हैं। कारोबार के लिए भरोसे में लगातार सुधार हो रहा है और ऐसे माहौल का अर्थ है कि अपनी नौकरी तथा तरक्की को लेकर लोगों की अब ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। अधिकतर सम्भावनाएं विकास की ओर ही इशारा कर रही हैं।

बढ़ेगी मांग
आने वाले दौर में रियल एस्टेट सैक्टर की मांग में वृद्धि के संकेत स्पष्ट हैं। ऑफिस स्पेस की मांग सभी जगहों पर बढ़ रही है जिससे साफ है कि इकोनॉमिक एक्टिविटी बढ़ रही है। आवासीय मांग भी अधिकांश जगहों में बढ़ रही है। आई.टी., आई.टी.ई.एस., ई-कॉमर्स, एफ.एम.सी.जी., लॉजिस्टिक्स और रूरल इकोनॉमी के विस्तार से घरों की मांग में वृद्धि होने की आपार सम्भावनाएं देखी जा रही हैं।

कीमतों में सुधार 
गत कुछ वर्षों के दौरान सम्पत्ति की कीमतों में बड़ा सुधार हुआ है और कीमतें लगभग स्थिर हैं। अधिकतर शहरों में कीमतें कुछ साल पहले की तुलना में कम हैं। इन कीमतों का लाभ प्राप्त करने का यह अच्छा मौका है।
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सस्ता लोन
बैंकों की होम लोन ब्याज दर इस समय कम होकर लगभग 8 प्रतिशत तक आ गई है। इससे ब्याज का बोझ कम होगा और मासिक किस्त भी कम बनेगी। ऊपर से सरकार ने अफोर्डेबल हाऊसिंग स्कीम चला रखी है जिससे ब्याज में भारी छूट यानी 3 से 4 प्रतिशत तक छूट भी मिल सकती है। 

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