मोदी सरकार की कोशिशों का असर, NPA में पहली बार आई कमी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jan, 2018 11:17 AM

impact of the modi government efforts  reduction in npa

फंसे कर्जों के बोझ से दबे बैंकों के हालात पर लगातार आलोचना झेल रही मोदी सरकार को कुछ राहत मिलती दिख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार में पहली बार नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एन.पी.ए.) में कमी देखने को मिल रही है। एन.पी.ए. के रिकॉर्ड स्तर पर...

नई दिल्लीः फंसे कर्जों के बोझ से दबे बैंकों के हालात पर लगातार आलोचना झेल रही मोदी सरकार को कुछ राहत मिलती दिख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार में पहली बार नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एन.पी.ए.) में कमी देखने को मिल रही है। एन.पी.ए. के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद 2015 में सरकार शुरू किए गए प्रयासों के ताजा परिणाम से यह संकेत भी मिलता है कि सख्त नियमों और इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के अच्छे नतीजे दिख सकते हैं।

स्ट्रेस्ड लोन, जिसमें एन.पी.ए. और रीस्ट्रक्चर्ड या रोल्ड ओवर लोन्स शामिल हैं, सितंबर के अंत में 0.4 फीसदी कमी के साथ 9.46 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। इससे पहले जो डाटा देखा था उसके मुताबिक पिछले साल जून के अंत में स्ट्रेस्ड लोन 9.5 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। यह कुल लोन का 12.6 फीसदी हिस्सा था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह अनुपात अब 12.2 फीसदी है। तिमाही आंकड़ों के मुताबिक 2015 के बाद यह पहली बार है कि फंसे हुए कर्जों में कमी आई है। वार्षिक आधार पर देखें तो 2006 से अब तक इसमें लागातार वृद्धि हुई है।   
 

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