Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jun, 2017 10:17 AM
वित्त वर्ष 2016-17 में राज्यों का वित्तीय घाटा बढ़कर 4,93,360 करोड़ रुपए पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 1991-92 में 18,790 करोड़ रुपए था
मुम्बई: वित्त वर्ष 2016-17 में राज्यों का वित्तीय घाटा बढ़कर 4,93,360 करोड़ रुपए पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 1991-92 में 18,790 करोड़ रुपए था। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इसमें सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे बड़े इलाके वाले राज्य राजस्थान का हिस्सा बहुत बड़ा है। आर.बी.आई. ने शनिवार को हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन स्टेट्स 2016-17 जारी किया। इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2017 के लिए राज्यों के बजट अनुमानों के अनुसार यह 4,49,520 करोड़ तक गिर सकता है।
वित्त वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश का वित्तीय घाटा महज 3,070 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 64,320 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। हालांकि, मौजूदा वित्त वर्ष में इसे घटकर 49,960 करोड़ रुपए पर आने की संभावना व्यक्त की गई है। इसी तरह, वित्त वर्ष 1991 में राजस्थान का वित्तीय घाटा महज 540 करोड़ रुपए था, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 67,350 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। मौजूदा वित्त वर्ष में यह घटकर 40,530 करोड़ तक गिर सकता है।
आंकड़ों के इस प्रकाशन में ‘वन इंडिकेटर वन टेबल’ की पद्धति का अनुपालन किया गया। इसमें साल 1950-51 से 2016-17 की अवधि में सभी राज्यों के सामाजिक-जनसांख्यिकी, स्टेट डोमैस्टिक प्रॉडक्ट, कृषि, उद्योग, बुनियादी ढांचा, बैंकिंग, वित्तीय सूचकांक पर सभी उपराष्ट्रीय सांख्यिकी का ध्यान रखा गया। इसमें राज्य स्तर पर बिजली, प्रति व्यक्ति बिजली उपलब्धता, कुल बिजली क्षमता, बिजली की कुल जरूरत, राष्ट्रीय राजमार्ग (नैशनल हाइवेज), सड़क, स्टेट हाइवेज और रेल नैटवर्क की लंबाई भी शामिल है।