Edited By ,Updated: 08 Nov, 2016 02:18 PM
कीमतों में तेजी, कमजोर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा सरकार द्वारा नियम कड़े किए जाने से देश में सोने की मांग 30 सितंबर को समाप्त तीसरी तिमाही में 28 प्रतिशत घटकर 194.8 टन रह गई।
बैंगलूरः कीमतों में तेजी, कमजोर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा सरकार द्वारा नियम कड़े किए जाने से देश में सोने की मांग 30 सितंबर को समाप्त तीसरी तिमाही में 28 प्रतिशत घटकर 194.8 टन रह गई। हालांकि, त्यौहारी तथा वैवाहिक मौसम के मद्देनजर अक्तूबर में मांग बढ़ी है, जिससे अंतिम तिमाही में मांग बढऩे की उम्मीद है। विश्व स्वर्ण परिषद् द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, साल की तीसरी तिमाही में जुलाई से सितंबर के बीच पीली धातु की वैश्विक मांग 10 प्रतिशत घटकर 992.8 टन रह गई। दुनिया के दो सबसे बड़े स्वर्ण उपभोक्ता देश भारत तथा चीन में मांग में क्रमश: 28 प्रतिशत तथा 22 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। भारत में जहां पिछले साल तीसरी तिमाही में मांग 271.2 टन रही थी, वहीं इस साल की समान तिमाही में यह घटकर 194.8 टन रह गई। चीन में यह 233.8 टन से कम होकर 182.5 टन पर रही।
परिषद् की रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में कमी का सबसे बड़ा कारक सरकार द्वारा काला धन पर लगाम लगाए जाने के कारण सोने के कारोबार के नियम कड़े किए जाना रहा है। उसने कहा, "पिछले कुछ महीनों के दौरान स्वर्ण उद्योग को नियमित तथा औपचारिक बनाने के लिए कई सरकार कदम उठाए गए हैं। सरकार ने सोने के गहनों के निर्माण पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाया है तथा 2 लाख रुपए से ज्यादा के आभूषणों की खरीद पर पैन कार्ड नंबर देना जरूरी कर दिया है। इसके अलावा वह कालाधन के खिलाफ भी मुहिम चला रही है जिसका अक्सर नकद खरीद में इस्तेमाल किया जाता है। वह सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क मानक को जरूरी बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।"