अलविदा 2017: भारतीय कंपनियों ने किए 60 अरब डॉलर के विलय एवं अधिग्रहण सौदे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 04:16 PM

indian companies make 60 dollar billion merger and acquisition deals in 2017

भारतीय कंपनियों ने इस साल 60 अरब डॉलर या चार लाख करोड़ रुपए के विलय एवं अधिग्रहण सौदे किए हैं। भारतीय कंपनियों को कुछ उल्लेखनीय बड़े सौदों और विभिन्न निजी इक्विटी निवेश के अच्छे मूल्यांकन से मदद मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्तीय दबाव की वजह...

नई दिल्लीः भारतीय कंपनियों ने इस साल 60 अरब डॉलर या चार लाख करोड़ रुपए के विलय एवं अधिग्रहण सौदे किए हैं। भारतीय कंपनियों को कुछ उल्लेखनीय बड़े सौदों और विभिन्न निजी इक्विटी निवेश के अच्छे मूल्यांकन से मदद मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्तीय दबाव की वजह से एकीकरण जरूरी है। इसके अलावा ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए बड़े कारोबार का लाभ उठाने के लिए इस तरह के सौदे जारी रहेंगे। इससे आगे भी विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलते रहने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नया साल भी विलय एवं अधिग्रहण सौदों की दृष्टि से अच्छा रहेगा। इसकी वजह राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों की तेज रफ्तार है। इसके अलावा व्यापक रूप से वृहद कारक भी सकारात्मक नजर आते हैं। वैश्विक सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन के अनुसार जनवरी-नवंबर, 2017 की अवधि में कुल सौदा गतिविधियां (विलय एवं अधिग्रहण) तथा निजी इक्विटी 59 अरब डॉलर रहीं। यह इससे पिछले साल की समान अवधि से नौ प्रतिशत अधिक है। पूरे साल के लिए यह आंकड़ा 60 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। इस तरह के सौदों पर निगाह रखने वाली मर्जरमार्केट इंडिया के अनुसार, ‘‘मूल्यांकन को लेकर उम्मीदों, नियामकीय प्रक्रिया की कम समझ की वजह से विलय एवं अधिग्रहण सौदों का आंकड़ा कम है।’’ उसका मानना है कि 2018 में भी विलय एवं अधिग्रहण की रफ्तार सुस्त रह सकती है, क्योंकि 2019 चुनाव का साल है और आर्थिक मोर्चे पर चीजें अभी भी सुस्त नजर आती हैं।

ईवाई की सौदा सलाहकार सेवा के प्रबंधकीय भागीदार अमित खंडेलवाल का कहना है कि आगे चलकर विलय एवं अधिग्रहण क्षेत्र में घरेलू सौदा गतिविधियों का दबदबा रहेगा, क्योंकि फिलहाल विभिन्न क्षेत्रों में एकीकरण का सिलसिला चल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्टार्टअप्स, बैंकिंग एवं बीमा, ई-कामर्स, विनिर्माण, फार्मा, स्वास्थ्य सेवा और जैव प्रौद्योगिकी में विलय एवं अधिग्रहण देखने को मिलेंगे। 

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