Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 03:23 PM
नोटबंदी की वजह से देश के बैंकिंग इतिहास में बैंकों में पैसे की भरमार होने के मद्देनजर ब्याज दर घटाई जा सकती है।
नई दिल्लीः नोटबंदी की वजह से देश के बैंकिंग इतिहास में बैंकों में पैसे की भरमार होने के मद्देनजर ब्याज दर घटाई जा सकती है। देश के दो बड़े सरकारी बैंकों ने बिजनेस न्यूज चैनल सीएनबीसी टीवी18 के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही। इसका मतलब अगर फैसला हुआ तो बचत खातों में जमा पैसे पर कमाई घट जाएगी। देश में अक्सर छोटी राशि बचा पाने वाले लोग बचत खातों में ही पैसे जमा करते हैं। उन्हें जमा राशि पर 4 से 6 प्रतिशत तक ब्याज मिलता है और यह ब्याज दरें लंबे समय से स्थिर है।
पंजाब नैशनल बैंक की एमडी ने क्या कहा
पंजाब नैशनल बैंक की एमडी और सीईओ ने इंटरव्यू में कहा, 'बैंकों ने जमा पर ब्याज दर में कटौती किए बिना एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में बड़ी कौटती की है।' उन्होंने कहा, '(लोन रेट) में जो मासिक कटौती हुई है, वह इस अवधि में आरबीआई की ओर से मिले फायदों के मुकाबले ज्यादा है।'
कर्ज पर ब्याज दर कम होने के आसार कम
बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ पी एस जयकुमार ने इंटरव्यू में कहा, 'बजट में वित्तीय अनुशासन, राजस्व घाटा काबू में होना और महंगाई दर कम रहना सकारात्मक बातें हैं। इसलिए, रेट कट की उम्मीद है। लेकिन, बैंकों ने लोगों को फंड में कटौती का फायदा पहले ही दे दिया है। ऐसे में अब ब्याज दर कम होने के आसार कम हैं।' बता दें कि 500 और 1,000 रुपए के चलन से बाहर होने की वजह से अभी बैंकों में नोटों का अंबार लगा हुआ है।
एस.बी.आई. का एमसीएलआर 8 फीसदी
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का एक साल का एमसीएलआर 8% है क्योंकि बैंक ने जनवरी में एमसीएलआर में 0.9 प्रतिशत पॉइंट्स की कटौती की थी। एमसीएलआर से होम लोन इंट्रेस्ट समेत विभिन्न कर्जों के लिए ब्याज दर का पैमाना तय होता है। देशभर के बैंकों ने नोटबंदी से आई नकदी की बाढ़ के मद्देनजर कर्ज सस्ते किए हैं।