FRDI बिल पर जेटली का बयान, बैंकों में जनता का पैसा रहेगा सुरक्षित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 03:24 PM

jaitley says public money in banks will remain safe

सरकार की ओर से प्रस्तावित कानून के एक मसौदे को लेकर जमाकर्ताओं की चिंता को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार बैंकों में आम लोगों की जमा राशि की पूरी तरह रक्षा करेगी। इसके साथ ही उन्होंने प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा...

नई दिल्लीः सरकार की ओर से प्रस्तावित कानून के एक मसौदे को लेकर जमाकर्ताओं की चिंता को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार बैंकों में आम लोगों की जमा राशि की पूरी तरह रक्षा करेगी। इसके साथ ही उन्होंने प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफ.आर.डी.आई.) विधेयक में बदलाव को लेकर खुला रुख अपनाने का संकेत दिया।

बैंकों को मजबूत बनाना सरकार का उद्देश्य
जेटली ने कहा है कि बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए डालने की सरकार की योजना का उद्देश्य बैंकों को मजबूत बनाना है और किसी बैंक के विफल होने का कोई सवाल नहीं है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती भी है तो सरकार ग्राहकों की जमाओं की पूरी रक्षा करेगी। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इस बारे में सरकार का रुख पूरी तरह स्पष्ट है।’ जेटली ने यह टिप्पणी वित्तीय समाधान व जमा बीमा (एफ.आर.डी.आई.) विधेयक 2017 के एक प्रावधान को लेकर चिंताओं को दूर करने के प्रयास में दी है। इस विधेयक को इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। यह इस समय संयुक्त संसदीय समिति के पास विचाराधीन है। कुछ विशेषज्ञों ने विधेयक के मसौदे में वित्तीय संस्थानों के लिए संकट से उबरने के लिए बेल-इन यानी आंतरिक संसाधनों का सहारा के प्रावधान को बचत खातों के रूप में ग्राहकों की जमाओं को संभावित नुकसान वाला करार दिया है।

अफवाहों पर ध्यान न दें लोग
जेटली ने कहा, ‘यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति के समक्ष है। समिति की जो भी सिफारिशें होंगी सरकार उन पर विचार करेगी।’ उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। मंत्री ने कहा, ‘सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध है। सार्वजनिक बैंको को मजबूत बनाने के लिए उनमें 2.11 लाख करोड़ रुपए लगाए जा रहे हैं।’ एफ.आर.डी.आई. विधेयक में ऋणशोधन जैसी स्थिति में विभिन्न वित्तीय संस्थानों, बैंकों, बीमा  कंपनियों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा स्टाक एक्सचेंज आदि की निगरानी का ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है। मसौदा विधेयक में ‘रेजोल्यूशन कारपोरेशन’ का प्रस्ताव किया गया है जो कि प्रक्रिया पर निगरानी रखेगा तथा बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा। वह यह काम ‘देनदानियों को बट्टे खाते में डालते हुए’ करेगा, इस मुआवजे की व्याख्या कुछ लोगों ने ‘बेल इन’ के रूप में की है। 

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