Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Feb, 2018 04:23 PM
उद्योग जगत का कहना है कि कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में ढांचागत परियोजनाओं में 14.34 लाख करोड़ रुपए के खर्च प्रावधान से परेशानी के दौर से गुजर रहे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उद्योग संगठन एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने एक वक्तव्य में यह...
नई दिल्लीः उद्योग जगत का कहना है कि कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में ढांचागत परियोजनाओं में 14.34 लाख करोड़ रुपए के खर्च प्रावधान से परेशानी के दौर से गुजर रहे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उद्योग संगठन एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने एक वक्तव्य में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2018-19 का बजट उम्मीद के अनुरूप रहा है। इसमें समाज के उस तबके को समर्थन दिया गया है जहां इसकी सबसे अधिक जरूरत थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री जानते हैं कि धन को कहां किस तरह खर्च किया जाना है। कृषि और ग्रामीण क्षेत्र निराशा के दौर से गुजर रहा था तथा इस क्षेत्र की ढांचागत सुविधाओं में 14.34 लाख करोड़ रुपए व्यय प्रावधान से हालात बेहतर होंगे।
जजोडिया ने कहा कि 585 ई-मंडियों में उन पर प्रतिबंधात्मक नियमों को लागू किए बिना उन्हें 22,000 कृषि उत्पाद विपणन मंडियों (एपीएमसी) से जोड़ने से न केवल किसानों को बल्कि कृषि प्रसंस्करण कार्येां में लगी कंपनियों, बड़ी खुदरा कंपनियों सहित एफएमसीजी कंपनियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि कृषि उपज के मामले में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़ी एक समस्या इसके क्रियान्वयन की है। वित्त मंत्री ने वादा किया है कि इसके लिए नीति आयोग राज्य सरकारों के साथ समन्वय बिठाएगा और सुनिश्चित करेगा कि किसानों को उनकी उपज का लागत के मुकाबले डेढ़ गुणा तक दाम मिले।
फिक्की अध्यक्ष राशेस शाह ने भी बजट को उम्मीदों के अनुरूप बताया और कहा कि इससे बड़े पैमाने पर मांग बढ़ेगी। इससे दूसरे क्षेत्रों में भी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। एमएसएमई को वित्तीय संसाधनों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित कराने और उनके लिए कंपनी कर में कटौती का भी रोजगार और वृद्धि पर अनुकूल असर होगा और अर्थव्यवसथा के एक बड़े वर्ग को फायदा होगा। उद्योग संगठन ने बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को बड़ी घोषणा बताया है और कहा है कि इस योजना के क्रियान्वयन में आने से देश की एक तिहाई आबादी को पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम होगा और इससे गुणवत्ता परक स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग बढ़ेगी। उद्योग संगठन ने कहा है कि प्रतिभूति कारोबार कर (एसटीटी) जारी रहने और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) फिर से शुरू करने से बाजार पर कुछ अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा लेकिन इसका लंबे समय तक बाजार पर असर नहीं रहेगा। पिछले 20 साल में बाजार ने 15- 16 प्रतिशत प्रतिफल दिया है। ऐसे में प्रतिफल पर डेढ प्रतिशत का असर डालने वाले कर से घरेलू निवेशकों की बाजार में निवेश करने की भूख खत्म नहीं हो जाएगी।