फायदे का सौदा है मकान मालिक और किराएदार में मधुर रिश्ते

Edited By ,Updated: 04 Jun, 2016 01:22 PM

landlord property developers

जरूरी नहीं कि मकान मालिक और किराएदार हमेशा आपस में उलझे रहें, वे अच्छे दोस्त भी बन सकते हैं जो दोनों के हित में होगा।

जालंधरः जरूरी नहीं कि मकान मालिक और किराएदार हमेशा आपस में उलझे रहें, वे अच्छे दोस्त भी बन सकते हैं जो दोनों के हित में होगा। देश के जिन हिस्सों में मकानों की कमी नहीं है, एक मकान मालिक और किराएदार के बीच रिश्ता आमतौर पर लेन-देन वाला होता है। हर महीने एक-एक तय किराए के बदले में किराएदार को अपने सिर पर छत नसीब हो जाती है। 

 

वहीं, जिन इलाकों में मकानों की कमी और मांग ज्यादा हो, वहां दोनों के बीच रिश्ता आमतौर पर पूर्णतया पेशेवराना तथा एक-दूसरे के प्रति उदासीन होता है। 

 

मुम्बई में एक मीडिया प्रोफैशनल 29 वर्षीय रजनी ठाकुर को गत दिनों किराए पर लिया तीसरा मकान किसी वरदान से कम प्रतीत नहीं हो रहा है। इसकी वजह मकान मालकिन के साथ बन गए उसके अच्छे व करीबी रिश्ते हैं। इस तरह से उसे यह एक सुरक्षित आवास प्रतीत हो रहा है। वह कहती है, ‘‘गत 5 वर्षों में मुम्बई में यह मेरा तीसरा मकान है। गत 5 वर्षों के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद यह मकान तो मेरे लिए वाकई भाग्यशाली लग रहा है। इस मकान में मुझे वे सभी तरह की स्वतंत्रताएं हैं जो एक अन्जाने शहर में एक सिंगल वर्किंग वुमन के लिए जरूरी हैं। सबसे अच्छी बात है कि मेरी मकान मालकिन अब मेरी दोस्त बन गई है।’’

किसी भी किराएदार के लिए ऐसी स्थिति वास्तव में बेहद अच्छी है कि जहां मकान मालिक और किराएदार की आपस में पटने लगे। 

 

हालांकि, बड़े शहरों में पूर्वाग्रह तथा असमानताओं की वजह से किराएदारों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मकान मालिक व किराएदार में आपसी संबंध अच्छे होने से ब्रोकर या तीसरे व्यक्ति की दलाली की जरूरत भी नहीं रहती तथा उनमें सौदा अधिक न्यायोचित व पारदर्शी हो जाता है। 

 

रजनी की मालकिन मरियम नामक 60 वर्षीय वृद्धा हैं। उन्हें भी किराएदार के रूप में रजनी बेहद उपयुक्त लगती है। वह कहती हैं, ‘‘हमने यह मकान एक ब्रोकर के माध्यम से ही किराए पर चढ़ाया है लेकिन रजनी के साथ  अब हमारी अच्छी बनने लगी है। वह हमारी बेटी और दोस्त जैसी बन गई है। जब भी मैं निराश होती हूं या किसी तरह के दुख में होती हूं तो वह मुझे सहारा देती है और हर तरह से मेरी मदद करती है। अपने इस पुराने घर के लिए उससे बेहतर किराएदार मुझे और कोई नहीं मिल सकता था।’’

इन दिनों मकानों की कीमतें आकाश छू रही हैं और अधिकतर डिवैल्पर भी मार्कीट में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में मुम्बई जैसे महानगरों में किराए के मकानों की मांग पहले से कहीं ज्यादा हो गई है। ऐसे वक्त में लोगों के लिए जरूरी है कि वे एक-दूसरे के साथ मिल-जुल कर रहें और सामाजिक मेल-मिलाप को बढ़ावा दें। 

 

मुम्बई में ही काम करने वाली अनन्या राय तथा उनके पति समर राय दोनों वकील हैं। उन्होंने एक ब्रोकर की मदद से एक इमारत की दूसरी मंजिल के अपार्टमैंट को किराए पर लिया है। यह वकील दम्पति खासतौर पर ऐसा अपार्टमैंट किराए पर चाहता था जिसके मकान मालिक भी करीब रहते हों। इन्हें भी मकान मालिक के रूप में एक अच्छे दोस्त मिल गए हैं। 

 

अनन्या के अनुसार, ‘‘इस मकान में आकर मैं बड़ी राहत महसूस कर रही हूं क्योंकि अब मुझे पता है कि कोई भी समस्या आने पर मैं अपनी मकान मालकिन को मदद के लिए पुकार सकती हूं।’’ यहां रहना उन्हें बहुत भा रहा है क्योंकि वे अपनी इच्छा अनुरूप रह सकते हैं। हाल ही में उन्होंने घर पर एक पार्टी रखी जिसमें उनके कई दोस्त शामिल हुए और संगीत भी बजाया गया तो मकान मालिकों की ओर से उन्हें किसी तरह की आपत्ति या रुकावट का सामना नहीं करना पड़ा। यह सब उनके पिछले मकान से बहुत अलग है। बेशक इस मकान में उन्हें कभी-कभी पानी तथा बिजली की परेशानी जैसी समस्याएं पेश आती हैं, उन दोनों को लगता है कि यहीं रहना उनके लिए उपयुक्त है। उनके मकान मालिक ने उन्हें इतनी स्वतंत्रता दे रखी है कि वे इसे अपना घर समझ सकें। 

 

वहीं, उनकी मकान मालकिन को भी यह दम्पति बेहद पसंद हैं। वह कहती हैं, ‘‘हम अपने इस मकान को ऐरे-गैरे लोगों को किराए पर नहीं देना चाहते थे। अनन्या व समर के हमारे किराएदार बनने से हमारी सारी चिंताएं दूर हो गई हैं। हमारे लिए वे किराएदार से बढ़ कर हैं जो हमारे जीवन में खुशियां लेकर आए हैं।’’ 

 

जाहिर है कि मकान मालिकों को भी किराएदारों से अच्छे रिश्ते रखने से बड़ा सहारा मिलता है। किसी भी तरह के संकट के समय उन्हें उनसे मदद भी मिल जाती है।

जब 25 वर्षीय पीटर डिसूजा ने बोरीवली वैस्ट में रेस्तरां खोलने का फैसला किया तो उन्हें उसके करीब ही अपने लिए किराए का मकान तलाश करने की जरूरत पड़ी। एक ब्रोकर की मदद से उन्होंने एक अपार्टमैंट का चुनाव किया। शुरूआत में तो डिसूजा के मन में कुछ झिझक तथा शंका थी परन्तु जल्द ही वह धैर्यपूर्वक 75 वर्षीय मकान मालिक के जन्म स्थान तथा बचपन की कहानियां सुन कर उनका दिल जीतने में सफल रहे। दोनों में अब अच्छी दोस्ती बन गई है। 

 

जल्द ही उनके मकान मालिक उनकी हर तरह से मदद के लिए आगे आने लगे। यहां तक कि वे साफ-सफाई, पेंटिंग से लेकर मुरम्मत आदि सभी तरह के कामों में उसकी मदद करते हैं। बदलते दौर में मकान मालिक भी महसूस करने लगे हैं कि किराएदारों से बेहतर रिश्ते दोनों के लिए फायदे का सौदा होते हैं। 

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