बेनामी सौदे पर होगी 7 वर्ष सश्रम कैद

Edited By ,Updated: 30 Jul, 2016 04:20 PM

lok sabha arun jaitley

देश में काले धन की गम्भीर समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं। इसी के तहत बेनामी सम्पत्तियों पर नकेल कसने के लिए नया कानून बना दिया गया है।

जालंधरः देश में काले धन की गम्भीर समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं। इसी के तहत बेनामी सम्पत्तियों पर नकेल कसने के लिए नया कानून बना दिया गया है। हाल ही में लोकसभा में बेनामी संपत्ति से संबंधित विधेयक पास हो गया है जिसके तहत ऐसे सौदे अवैध होंगे और इसमें दूसरों के नाम पर ली गई सम्पत्ति जब्त किए जाने का भी प्रावधान है। इस कानून से काले धन पर अंकुश लगाने की सरकार की एक और कोशिश कामयाब हुई है। ‘बेनामी ट्रांजैक्शंस प्रोहिबिशन अमैंडमैंट बिल, 2015’ को गत वर्ष मई में पेश किया गया था। इसका मकसद ‘बेनामी ट्रांजैक्शंस एक्ट 1988’ में संशोधन किया जाना था जो कभी लागू नहीं हो पाया।

बेनामी एक्ट को वर्ष 1988 में बनाया गया था लेकिन इसके नियमों को कभी नोटिफाई नहीं किया गया। पिछली यू.पी.ए. सरकार ने 1988 के एक्ट की जगह लेने के लिए बेनामी ट्रांजैक्शंस (प्रोहिबिशन) बिल पेश किया था लेकिन 15वीं लोकसभा के भंग होने के साथ यह लैप्स हो गया। मोदी सरकार ने काले धन पर काबू पाने के मकसद के साथ इसमें कुछ बदलाव किए और बिल को दोबारा पेश किया था।

बिल पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा, ‘‘अघोषित संपत्ति वाले बहुत से लोग फर्जी नामों से सम्पत्ति खरीदते हैं। ऐसे लेन-देन को रोकना होगा।’’ यह बिल लोकसभा में ध्वनिमत से पास हो गया। कानून में बेनामी ट्रांजैक्शन की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि इसके दायरे में ‘प्रॉक्सी प्रॉपर्टी ओनरशिप’ के सभी मामले आ जाएं। कानून में बेनामी ट्रांजैक्शन के लिए पैनल्टी का भी प्रावधान किया गया है।

विधेयक पर हुई चर्चा पर एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश पर पूरी तरह से नया कानून नहीं बनाते हुए केवल 1988 के ‘बेनामी ट्रांजैक्शन एक्ट’ में संशोधन किए जाने का बचाव किया। 

क्या है बेनामी सम्पत्ति?
कानून के अनुसार बेनामी ट्रांजैक्शन वह है जिसमें किसी दूसरे के नाम पर सम्पत्ति के लिए कोई और पैसे चुकाता है। इसमें किसी दूसरे नाम पर ट्रांसफर हुई सम्पत्ति के लिए पेमैंट भी बेनामी मानी जाएगी। कानून में बेनामी ट्रांजैक्शंस की सूची है जिसमें फर्जी नाम से ली गई सम्पत्ति जिसमें मालिक को सम्पत्ति के बारे में पता नहीं है या वह उस पर मालिकाना हक की जानकारी होने से मना करता है या सम्पत्ति के लिए पेमैंट करने वाले शख्स का पता नहीं चल पाता है को भी शामिल किया गया है।

एक जानकार बताते हैं, ‘‘इससे खासतौर पर कार्पोरेट स्तर पर ऋण लेने वालों द्वारा बैंक के साथ धोखाधड़ी करने और ऋण की रकम दूसरी जगह लगाकर बनाई गई बेनामी सम्पत्ति का पता लगाने की कोशिश को बढ़ावा मिलेगा। जब यह तय हो जाएगा कि धन का इस्तेमाल बेनामी सम्पत्ति बनाने में हुआ है तो बैंक भी रिकवरी की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए इस कानून का फायदा उठा सकेंगे।’’ 

कठोर सजा का प्रावधान
संशोधित कानून में सम्पत्ति जब्त किए जाने के अलावा 7 वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान है। साथ ही इसमें बेनामी संपत्ति के बाजार मूल्य का 25 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। जो लोग 30 सितम्बर के अंत तक ‘इन्कम डिक्लेरेशन स्कीम’ के तहत बेनामी सम्पत्ति घोषित करेंगे उनको इस कानून से छूट मिलेगी।

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