रियल्टी सैक्टर के लोन डिफॉल्ट का रिस्क बढ़ा

Edited By ,Updated: 07 Jul, 2016 01:48 PM

managing director public bank

रीयल एस्टेट सैक्टर को लोन देने वाले बैंकों को डर है कि संपत्ति के दाम में कमी और कंपनियों के पास नकदी कम होने से उनके डिफॉल्ट करने का ...

मुम्बई: रीयल एस्टेट सैक्टर को लोन देने वाले बैंकों को डर है कि संपत्ति के दाम में कमी और कंपनियों के पास नकदी कम होने से उनके डिफॉल्ट करने का रिस्क बढ़ गया है। देश की बैंकिंग प्रणाली के लगभग 20 प्रतिशत एसेट्स रीयल एस्टेट सैक्टर में हैं। रियल्टी कंपनियों की बिना बिकी इन्वैंट्री बढ़ने और बिक्री में कमी आने से बैंकर्स चिंतित हैं।

एक सरकारी बैंक के उच्चाधिकारी ने कहा, ‘‘अगर संपत्ति के दाम और नीचे जाते हैं तो बैंकों के मॉर्टगेज उनके पास मौजूद सिक्योरिटी से अधिक हो जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो डिफॉल्ट की आशंका बढ़ेगी।’’ रीयल एस्टेट रिसर्च फर्म, लियासेज फोरास के मैनेजिंग डायरैक्टर, पंकज कपूर ने बताया कि स्थिति इतनी खराब है कि अगर एक कंपनी नीचे जाती है तो वह बाकी के सिस्टम को अपने साथ नीचे ले जाएगी। बहुत से मामलों में लोन इतना अधिक है कि कीमतों में कमी आने से बैंकों का रिस्क और बढ़ जाएगा।

क्या कहता है रिजर्व बैंक का डाटा

भारतीय रिजर्व बैंक के डाटा से पता चलता है कि व्यावसायिक रीयल एस्टेट को बैंकों का बकाया क्रैडिट एक वर्ष में 10.6 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इसके अलावा आवास के लिए बकाया बैंक लोन 18.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7.58 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

देश के सबसे बड़े ऋणप्रदाता स्टेट बैंक ऑफ  इंडिया (एस.बी.आई.) की व्यावसायिक रीयल एस्टेट को दिया गया लोन एक वर्ष में 31.4 प्रतिशत बढ़कर 23,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

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