बन सकते है कई 'विजय माल्या', बैंक नहीं लगा रहा कर्ज देने पर लगाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Aug, 2017 02:28 PM

many vijay mallya can be made the bank does not seem to bend the loan

बैंक द्वारा अभी भी लोगों को कर्ज देने में लगाम नहीं लगाई जा रही इसका सीधा अर्थ यह है कि बैंक खुद ही

नई दिल्लीः बैंकों द्वारा अभी भी लोगों को कर्ज देने में लगाम नहीं लगाई जा रही इसका सीधा अर्थ यह है कि बैंक खुद ही डिफाल्टरों को तैयार कर रहा है। सार्वजनिक बैंकों का कहना है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों कर्जदारों (विलफुल डिफाल्टरों) पर उनके बकाया कर्ज में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह इस साल मार्च के आखिर में कुल मिलाकर बढ़कर 92000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया। ऐसे कर्जदारों का बकाया कर्ज वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में बढ़कर 92,376 करोड़ रुपए हो गया जो कि 20.4 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दिखाता है। यह कर्ज मार्च 2016 के आखिर में 76,685 करोड़ रुपए था।

इसके साथ ही सालाना आधार पर ऐसे कर्जदारों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत बढोतरी दर्ज की गई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या मार्च के आखिर में 8,915 हो गई जो कि पूर्व वित्त वर्ष में 8167 रही थी।बैंकों ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने के 8915 मामलों में से 32,484 करोड़ रुपओ के बकाया कर्ज वाले 1914 मामलों में प्राथमिकी एफआईआर दर्ज करवाई है। वित्त वर्ष 2016-17 में एसबीआई व इसके पांच सहयोगी बैंकों सहित 27 सार्वजनिक बैंकों ने 81,683 करोड़ रूपए को बट्टे खाते में डाला। यह बीते पांच साल में सबसे बड़ी राशि है। पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में यह राशि 41 प्रतिशत अधिक है। 

विजय माल्या देश की अर्थव्यवस्था में वह नाम है जिन्हें पैसे लेकर वापस न करने का पर्याय माना जाता है। विजय माल्या देश के सरकारी बैंकों से 9000 करोड़ रुपए लेकर न लौटाने के लिए विलफुल डिफॉल्टर घोषित हैं लेकिन बावजूद देश के सरकारी बैंक न तो अपने कर्ज देने की व्यवस्था को दुरुस्त कर पाएं हैं और न ही देश में नए-नए विजय माल्या की रफ्तार पर लगाम लगा पाए हैं।

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