गेहूं बुवाई लगभग समाप्त हुई, रकबा 7.1 प्रतिशत अधिक

Edited By ,Updated: 14 Jan, 2017 12:17 PM

ministry of agriculture  wheat

कृषि मंत्रालय ने आज कहा कि गेहूं बुवाई का रकबा 7.1 प्रतिशत बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर हो गया जहां तापामन में गिरावट आने से फसल की वृद्धि हुई है और इस बार फसल काफी हद तक येलो रस्ट (पीला रतुआ) बीमारी से बची हुई है।

नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय ने आज कहा कि गेहूं बुवाई का रकबा 7.1 प्रतिशत बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर हो गया जहां तापामन में गिरावट आने से फसल की वृद्धि हुई है और इस बार फसल काफी हद तक येलो रस्ट (पीला रतुआ) बीमारी से बची हुई है। मंत्रालय ने कहा कि पंजाब के गुरदासपुर जिले तथा जम्मू में कुछ जगह गेहूं की फलस में येलो रस्ट बीमारी देखने को जरूर मिली पर सरकार ने जरूरी उपाय कर बीमारी को आगे फैलने नहीं दिया।  

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक जे एस संधु ने बताया, ''गुरदासपुर जिले के साथ साथ जम्मू में भी जगह गेहूं पर पीला रतुआ रोग का प्रकोप देखा गया। हमने अपने वैज्ञानिकों को भेजा और बीमारी के प्रसार पर नियंत्रण के लिए उपाय कराए जिससे यह आगे नहीं फैल सकी।'' उन्होंने कहा कि गेहूं बुवाई का काम अब लगभग पूरा हो गया है और अभी तक बुवाई का रकबा सामान्य से अधिक है। हाल की बरसात और तापमान में गिरावट फसल के बढऩे के लिए लाभदायी है।  

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार रबी सत्र 2016..17 में अभी तक गेहूं की बुवाई 309.60 लाख हैक्टेयर में की गई है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 289.07 लाख हैक्टेयर थी। संधु ने कहा कि मध्य भारत में गेहूं की फसल पकने वाली है जबकि उत्तर भारत में अभी पौधे बढ़ रहे हैं। 

मौसम विभाग ने इस बार कम जाड़ा पडऩे का अनुमान व्यक्त किया है और सरकार फसल की करीबी निगरानी कर रही है। अगर फरवरी मार्च में तापमान सामान्य से ऊंचा रहा तो गेहूं की उपज प्रभावित होगी और उत्पादन कम होगा। धान और दलहनों को छोड़कर गेहूं, मोटे अनाज और तिलहन फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है।  

उत्तर पश्चिम मानसून की वर्षा कम होने से धान बुवाई का काम पीछे चल रहा है और इसका रकबा अभी 14.92 लाख हैक्टेयर है जो पिछलेे साल इसी अवधि में 19.48 लाख हैक्टेयर में की गई थी। तमिलनाडु ने प्रदेश के कुछ भागों में सूखा घोषित कर दिया है।  इसी प्रकार मोटे अनाज की बुवाई का रकबा 54.87 लाख है जो एक साल पहले 58.40 लाख हैक्टेयर था। दलहनों का रकबा एक साल पहले के 139.93 लाख हैक्टेयर से बढ़कर अब 155.35 लाख हैक्टेयर पर चल रहा है। 

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