Edited By ,Updated: 25 Oct, 2016 06:43 PM
टाटा समूह के चेयरमैन पद से मिस्त्री को अचानक हटाए जाने के बाद अब इस मामले में अदालती मोर्चेबंदी होने लगी हैं। टाटा समूह ने आज उच्चतम न्यायालय
नई दिल्ली: टाटा समूह के चेयरमैन पद से मिस्त्री को अचानक हटाए जाने के बाद अब इस मामले में अदालती मोर्चेबंदी होने लगी हैं। टाटा समूह ने आज उच्चतम न्यायालय, बांबे उच्च न्यालय और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में कैविएट दाखिल किए हैं ताकि साइरस मिस्त्री अदालतों से कोई इकतरफा आदेश पारित नहीं करा सकें।
सूत्रों के अनुसार टाटा परिवार चाहता है कि कोई भी अदालत मिस्त्री को हटाने के मामले में उनका पक्ष सुने बिना इकतरफा फैसला नहीं दे। सूत्रों ने कहा, ‘‘उन्होंने अदालत में उनका पक्ष सुने जाने का आग्रह किया है। कोई अदालत यदि मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने पर स्थगन जैसा कोई अंतरिम आदेश पारित करती है तो उससे पहले उसे टाटा समूह का पक्ष सुना जाना चाहिए।’’
टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन नियुक्त रतन टाटा ने इससे पहले आज दिन में समूह की विभिन्न कंपनियों के प्रमुखों से कहा है कि वह शीर्ष स्तर पर होने वाले बदलावों के बारे में चिंतित हुए बिना अपने काम पर ध्यान दें। उधर, मिस्त्री ने भी रतन टाटा, टाटा संस और सर दोराबजी ट्रस्ट के खिलाफ 3 कैविएट दाखिल किए हैं जबकि एक कैविएट साइरस इनवेस्टमेंट प्रा.लि. ने रतन टाटा और टाटा संस के खिलाफ दाखिल किया है। ये कैविएट जानी मानी कानूनी फर्म अमरचंद मंगलदास के जरिए दाखिल किए गए हैं।