Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 03:43 PM
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सुस्ती से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ‘सही समय’ पर उपयुक्त ....
नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सुस्ती से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ‘सही समय’ पर उपयुक्त कदम उठाने का आज वादा किया। उन्होंने कहा कि सरकार निजी निवेश के गति नहीं पकड़ने की समस्या को समझ रही है। आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए योजना तैयार करने को लेकर अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे जेटली ने कहा कि जमीन-जायदाद (रियल एस्टेट) क्षेत्र को माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के अंतर्गत लाया जा सकता है।
GDP पांच साल के न्यूनतम स्तर पर
जेटली ने कहा, ‘‘पहले दिन से यह सरकार सक्रियता से काम कर रही है। हम आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण कर रहे हैं और सही समय पर उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे।’’ निजी निवेश के रफ्तार नहीं पकड़ने की समस्या को स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मसले को समझ रही है। ‘‘जल्दी ही आप हमारी तरफ से इस बारे में कुछ सुनने को मिलेगा।’’ दो साल पहले आर्थिक नरमी से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक आकर्षक स्थल था। जी.डी.पी. वृद्धि दर के मामले में चीन से भी आगे निकल गया था। लेकिन 2016 की शुरूआत से लगातार छह तिमाहियों में वृद्धि दर घटी है और चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई। यह लगातार दूसरी तिमाही है जब भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि वाले देश के मामले चीन से पीछे रहा। जी.डी.पी. वृद्धि दर में गिरावट के अलावा निर्यात के समक्ष चुनौतियां हैं और औद्योगिक वृद्धि पांच साल में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई।
समय पर फाइल करें GST रिटर्न
जेटली ने कहा कि कारोबारी जी.एस.टी. रिटर्न समय पर फाइल करें। टैक्सपेयर्स को अंतिम समय पर होने वाली दिक्कतों से बचने के लिए लास्ट डेट से 4-5 दिन पहले ही अपना रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में एक राष्ट्र के रूप में भारत का भरोसा शानदार तरीके से बढ़ा है और चाहे जी.एस.टी. लागू करने की बात हो या सब्सिडी को सभी लाभार्थियों तक पहुंचाने की बात, मौजूदा सरकार ने तेजी से फैसले किए। उन्होंने कहा कि सरकार जी.एस.टी. के बाद मुद्रास्फीति प्रभाव को काबू में रखने में सफल रही है। जेटली ने कहा, ‘‘जहां तक और जिंसों को जी.एस.टी. के दायरे में लाने का सवाल है, मुझे लगता है कि रियल एस्टेट को लाना ज्यादा आसान है।’’ जहां तक कालाधन और बेनामी लेन-देन का सवाल है, जेटली ने कहा कि अधिक नकदी में लेन-देन भारत में सुरक्षित नहीं है।