Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 11:35 AM
नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद मोदी सरकार का अगला निशाना बेनामी संपत्ति है। बेनामी संपत्ति की जांच के लिए आयकर विभाग पहली बार इसरो की मदद लेगा। इस मुहिम में देश की अन्य जांच एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सी.बी.डी.टी.)...
भोपालः नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद मोदी सरकार का अगला निशाना बेनामी संपत्ति है। बेनामी संपत्ति की जांच के लिए आयकर विभाग पहली बार इसरो की मदद लेगा। इस मुहिम में देश की अन्य जांच एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सी.बी.डी.टी.) ने यह प्रयोग गुजरात और राजस्थान में कराया, जिसके अच्छे नतीजे निकले। अब मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में भी 'आसमानी आंख' से बेनामी संपत्तियों की खोजबीन शुरू होगी।
ये जांच एजेंसियां करेंगी मदद
आयकर विभाग ने एक बेनामी प्रॉपर्टी यूनिट भी बनाई है, जहां ऐसी सभी संवेदनशील सूचनाएं एकत्र की जा रही हैं। साथ ही एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी), सीबीआई, फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू), डायरेक्टोरेट आफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) एवं रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) की सेवाएं भी ली जाएंगी। इन एजेंसियों के जरिए विभाग देशभर से भारी भरकम संदिग्ध लेनदेन, हवाला और मुखौटा कंपनियों की गतिविधियों का ब्योरा भी जुटाएगा।
ऐसे होगी छानबीन
किसी भी क्षेत्र की सैटेलाइट इमेज के 'क्लोज व्यू' का पहले लोकल नेटवर्क और भूमि रिकॉर्ड (खसरा नंबर) से मिलान होगा। इसके बाद उस इमेज से संबंधित भूमि के मालिक का नाम-पता लेकर विभागीय अफसर जमीन का भौतिक सत्यापन करेंगे। खसरे में 14 बिन्दुओं की जानकारी रहती है। पंजीयन विभाग से रजिस्ट्री का ब्योरा लेकर भूमि मालिक की आर्थिक स्थिति का आकलन और पिछले 15 साल के रिकॉर्ड की छानबीन होगी। भूमि मालिक की आर्थिक हैसियत का परीक्षण भी होगा। इससे प्रॉपर्टी की असली कहानी सामने आ जाएगी। सैटेलाइट की आंख से आयकर विभाग अब यह जानकारी भी हासिल कर सकेगा कि किसी खेती की जमीन पर कब, कौन-सी फसल ली गई। पिछले वर्षों की इमेज भी सुरक्षित मिल जाएगी। इसी तरह अंदरूनी क्षेत्र में किसी प्रॉपर्टी का वास्तविक क्षेत्रफल क्या है, यह भी सैटेलाइट मिनटों में बता देगा।