मुठ्ठी में नहीं रही दुनियांः अनिल अंबानी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 12:21 PM

money drinker s telecommunications business

प्रमुख उद्योगपति और रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के प्रमुख अनिल अंबानी ने कहा कि ‘दूरसंचार क्षेत्र पैसा पीने वाला कारोबार बन चुका है जहां केवल वहीं बने रह सकते हैं जिनकी जेबें भरी हों।’ अंबानी ने कहा कि टाटा जैसे बड़े औद्योगिक घराने को अपने दूरसंचार...

मुंबईः एक कहावत है तो आपने जरूर सुनी होगी कि कर लो दुनियां 'मुठ्ठी' में  जिसका सीधा मतलब है कि दुनियां को काबू में रख के अपना हाथों मे रखना पर टेलीकॉम सैक्टर के लिए ये कहावत बदलती नजर आ रही है। हालही में प्रमुख उद्योगपति और रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के प्रमुख अनिल अंबानी ने कहा कि ‘दूरसंचार क्षेत्र पैसा पीने वाला कारोबार बन चुका है जहां केवल वहीं बने रह सकते हैं जिनकी जेबें भरी हों।’

अंबानी ने कहा कि टाटा जैसे बड़े औद्योगिक घराने को अपने दूरसंचार कारोबार को (एयरटेल को) ‘उपहार स्वरूप’ देना पड़ा है। नियामकीय ढांचे को लेकर एक तरह से नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि आरकॉम के सिस्‍टेमा श्याम टेलिकॉम के साथ विलय को मंजूरी देने में लगा लंबा समय ‘कारोबारी असुगमता’ का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह वायरलेस दूरसंचार क्षेत्र का संकट है और इसने अनेक लोगों व अनेक, अनेक कंपनियों को निगला है।

टाटा को भी बेचना पड़ा कारोबार
अंबानी ने संवाददाताओं से कहा कि टाटा जैसे बड़े औद्योगिक घराने को अपने दूरसंचार कारोबार को एयरटेल को उपहार स्वरूप देना पड़ा है। रेगुलेटरी ढांचे को लेकर एक तरह से नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि आरकॉम के सिस्तेमा श्याम टेलीकाम के साथ विलय को मंजूरी देने में लगा लंबा समय कारोबारी असुगमता का प्रतीक है।

संकट में है सेक्टर
उन्होंने कहा, यह वायरलैस टेलीकॉम सेक्टर का संकट है और इसने अनेक लोगों व अनेक, अनेक कंपनियों को निगला है। अगर टाटा जैसे दिग्गज औद्योगिक घराने को अपना कारोबार उपहार में देना पड़ता है तो बाकी छोटी मोटी कंपनियों की क्या मिसाल है। सब कुछ आपके सामने है। अंबानी ने अपनी दूरसंचार कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए मंगलवार को एक नई योजना की घोषणा की।

चाहिए बहुत सारा पैसा
टेलीकॉम सेक्टर के हालिया विलय-अधिग्रहण सौदों की ओर संकेत करते हुए, किसी कंपनी का नाम लिए बिना अंबानी ने कहा, यह स्पष्ट संकेत है कि इस क्षेत्र में 10 कंपनियां नहीं फल फूल सकतीं। यहां तो 2-3-4 कंपनियों के फलने फूलने के लिए है और उनके लिए है जिनके पास या तो अनाप शनाप पैसा है या जिनमें अनाप शनाप धन जुटाने की क्षमता है।

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