Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Dec, 2017 12:49 PM
वित्तीय लेन देन के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और चेक-बाउंस मामलों से प्रभावित छोटी और मझोली इकाइयों की मदद के लिए सरकार संभवत नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट -1881 में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है तांकि अदालतें पीड़ित पक्ष को...
नई दिल्लीः वित्तीय लेन देन के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और चेक-बाउंस मामलों से प्रभावित छोटी और मझोली इकाइयों की मदद के लिए सरकार संभवत नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट -1881 में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है तांकि अदालतें पीड़ित पक्ष को अंतरिम मुआवजा दिला सकें। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भी इस बारे में विचार किया गया।
माना जाता है कि सरकार इस कानून में संशोधन के जरिए ऐसा प्रावधान करना चाहती है कि ऐसे मामलों में सुनवाई के दौरान आदलतें चाहें तो चेक लिखने वालों के खिलाफ पीड़ित पक्ष को अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने के आदेश जारी कर सकें। सूत्रों के अनुसार सरकार अपीलीय स्तर पर भी ऐसा प्रावधान करना चाहती है कि अपीलीय अदालत चेक लिखने वाले अपीलकर्ता को सुनवाई अदालत द्वारा तय मुआवजे का एक हिस्सा अपील दाखिल करने के समय ही जमा करने का आदेश कर सके। सूत्रों के अनुसार सरकार मानती है कि चेक लिखने वाले के खाते में पर्याप्त पैसा न होने या अन्य कारणों से चेक बिना भुगतान के लौट जाने से छोटी और मझोली इकाइयों को लंबित अवधि में बहुत परेशानी और कारोबार का बड़ा नुकसान होता है।
सरकार के समक्ष एक सामान्य शिकायत यह भी है कि बेइमान किस्म के लोग भुगतान में विलम्ब करने के लिए चेक बाउंस के हथकंडे अपनाते हैं। चेक बाउंस होने पर पीड़ित पक्ष को अपना पैसा हासिल करने के लिए अदालतों में बहुत अधिक धन और समय जाया करना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार सरकार संबंधित कानून में ऐसा संशोधन करना चाहती है कि अदालतें चाहें तो सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष को अंतरिम भुगतान का आदेश कर सकें। यदि चेक लिखने वाला मुकदमे से बरी हो जाता है तो दूसरे पक्ष को अंतरिम मुआवजे की राशि वापस करनी होगी। इसी तरह अपीलीय अदालत भी मामले को दाखिला लेते समय निचली अदालत द्वारा तय मुआवजे का एक हिस्सा जमा कराने का आदेश कर सकेगी।