पिता के बर्थडे पर मुकेश अंबानी ने छोटे भाई को दिया 23,000 करोड़ का तोहफा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Dec, 2017 12:36 PM

mukesh ambani gives 23 000 crore gift to younger brother on dhirubhai birthday

मुकेश अंबानी ने पिता धीरूभाई अंबानी के जन्मदिन के दिन पर अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को बड़ा तोहफा दिया है। मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के स्पेक्ट्रम, मोबाइल टावर व आप्टिकल फाइबर नेटवर्क सहित अन्य मोबाइल...

मुंबईः मुकेश अंबानी ने पिता धीरूभाई अंबानी के जन्मदिन के दिन पर अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को बड़ा तोहफा दिया है। मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के स्पेक्ट्रम, मोबाइल टावर व आप्टिकल फाइबर नेटवर्क सहित अन्य मोबाइल कारोबारी आस्तियों को खरीदने का सौदा किया है। इस सौदे को मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। आरकॉम लगभग 45,000 करोड़ रुपए के भारी बोझ से दबी है और लंबे समय से इसे चुकाने के प्रयासों में जुटी है। रिलायंस जियो ने एक बयान में इस सौदे की जानकारी दी है। कंपनी ने कहा है कि उसने इस बारे में एक ​निश्चित समझौता किया है।
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ये है जियो और आरकॉम की डील
जियो या उसकी नामित इकाइयां इस सौदे के तहत आरकॉम व उसकी सम्बद्ध इकाइयों से चार श्रेणियों -टावर, आप्टिक्ल फाइबर केबल नेटवर्क, स्पेक्ट्रम व मीडिया कनवर्जेंस नोड्स (एसीएन) आस्तियां खरीदेगी। जियो का कहना है उक्त आस्तियां रणनीतिक महत्व की हैं और इससे जियो द्वारा वायरलैस व ‘फाइबर टु होम’ तथा उद्यम सेवाओं की बड़े पैमाने पर शुरुआत में मदद मिलेगी। इस सौदे के बारे में सरकार व नियामकीय प्राधिकारों से मंजूरी ली जानी है। जियो का कहना है कि आरकॉम की आस्तियों के अधिग्रहण की प्रक्रिया उद्योग जगत के विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र समूह की निगरानी में हुआ और दो दौर की निविदा प्रक्रिया में जियो सफल बोलीदाता के रूप में उभरी है।
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उल्लेखनीय है कि ऋण बोझ से दबी आरकॉम ने कर्जदारों के साथ एक नए सौदे को अंतिम रूप देने की घोषणा इसी मंगलवार को की थी। उसने कहा था कि नई व्यवस्था के तहत वह आस्तियों की बिक्री से लगभग 40,000 करोड़ रुपए जुटाएगी। अनिल अंबानी ने कहा था कि इस पुनरोद्धार योजना को उस चीनी बैंक का समर्थन भी है जिसने कंपनी को 1.8 अरब डालर का कर्ज चुकाने में असफलता के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में घसीटा था।

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