बाजार का खत्म जोश फंड निवेशक खामोश

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2016 01:55 PM

mutual fund bse

शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव और शेयरों की कीमतों में गिरावट घरेलू खुदरा निवेशकों को रास नहीं आ रहा है। इसका सीधा असर म्युचुअल फंडों के निवेश पर दिख रहा है।

मुंबईः शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव और शेयरों की कीमतों में गिरावट घरेलू खुदरा निवेशकों को रास नहीं आ रहा है। इसका सीधा असर म्युचुअल फंडों के निवेश पर दिख रहा है। इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं में जनवरी के दौरान 2,914 करोड़ रुपए का निवेश किया गया, जो पिछले 20 माह में सबसे कम है। हालांकि स्वतंत्र आधार निवेश कम नहीं है लेकिन वर्ष 2015 के मासिक औसत से निवेश प्रवाह जनवरी में करीब 40 फीसदी कम रहा है।

 

म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश में कमी मुख्य रूप से जनवरी के दौरान शेयरों की कीमतों में आई तेज गिरावट रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स पिछले महीने 4.8 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि माह के दौरान इसमें 9 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी। म्युचुअल फंडों में बेहतर निवेश इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की स्थिति में यह बाजार में निवेश कर कुछ हद तक भरपाई करने का काम करते हैं। इस साल अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शेयर बाजार में करीब 11,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। इस दौरान म्युचुअल फंडों ने बाजार में करीब 6,500 करोड़ रुपये निवेश कर गिरावट को कुछ हद तक थामने में मदद की है। ऐसे में अगर म्युचुअल फंडों में निवेश की रफ्तार सुस्त रही तो कोष प्रबंधकों के पास बाजार में निवेश करने के लिए कम पैसा उपलब्ध होगा।

 

देश के सबसे बड़े फंड हाउस एचडीएफसी म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक मिलिंद बर्वे ने कहा, 'जनवरी में म्युचुअल फंडों में निवेश निश्चित रूप से कम रही, क्योंकि उस दौरान शेयरों की कीमत में असामान्य तौर पर काफी उतार-चढ़ाव देखा गया था। ऐसे में यह स्वभाविक होता है कि निवेशक कुछ समय के लिए अपना पैसा निवेश करने से रोक देते हैं।'

 

पिछले महीने बाजार में आई गिरावट से इक्विटी योजनाओं की प्रबंधन वाली परिसंपत्तियों (एयूएम) में भी कमी आई। 31 जनवरी 2016 को इक्विटी एयूएम 3.84 लाख करोड़ रुपये रही, जो इससे पिछले महीने के अंत में 4.05 लाख करोड़ रुपये थी।

हालांकि कई कोष प्रबंधकों ने बाजार में आई हालिया गिरावट को एक मौके के तौर पर लिया और शेयरों में निवेश किया। देश के दूसरे सबसे बड़े फंड हाउस आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन ने कहा, 'बाजार में हालिया गिरावट मुख्य रूप से विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण आई है। हमारा मानना है कि निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतें निचले स्तर पर पहुंच सकती हैं। शेयर बाजार में गिरावट ने हमारे इक्विटी प्रारूप के तहत खरीदारी का भी अच्छा अवसर उपलब्ध कराया है।'

 

दिलचस्प है कि जनवरी के दौरान इक्विटी योजनाओं को भुनाने के स्तर में भी इजाफा हुआ है और जनवरी में यह करीब 8,000 करोड़ रुपये रहा। म्युचुअल फंड पर नजर रखने वाली फर्म वैल्यू रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी धीरेंद्र कुमार ने कहा, 'शेयर बाजार में निवेश को लेकर खुदरा निवेशकों के उत्साह में थोड़ी कमी आई है। बाजार उम्मीद पर चलता है और पिछले कुछ महीनों से बाजार में निवेशकों की धारणा में गिरावट आ रही है।' उद्योग से जुड़े लोग आगे भी निवेेश में कमी से इनकार नहीं कर रहे हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सिप के जरिए निवेश आएगा, जिससे म्युचुअल फंडों के पास निवेश के लिए पैसे की कमी नहीं होगी।

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