नहीं आए सरकार के उपाय काम और बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 12:22 PM

narendra modi  wheat

मोदी सरकार के तमाम दावों को धत्ता बताते हुए गेहूं की कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। अब तक अलग-अलग दिशाओं में लिए गए आधा दर्जन से ज्यादा सॉल्यूशंज फेल ही साबित हुए हैं।

नई दिल्ली: मोदी सरकार के तमाम दावों को धत्ता बताते हुए गेहूं की कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। अब तक अलग-अलग दिशाओं में लिए गए आधा दर्जन से ज्यादा सॉल्यूशंज फेल ही साबित हुए हैं। फिर चाहे वह ओ.एम.एस. स्कीम में बदलाव का हो या फिर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का।

मई-जून में एम.एस.पी. लैवल पर 1525 रुपए से आते-आते दिल्ली की मंडियों में गेहूं 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक बोला गया। कमोबेश देश के लगभग सभी बाजारों में यही हालत बनी हुई है। इसके लिए देश में गेहूं प्रोडक्शन कम तो है ही साथ ही सप्लाई व प्राइस कंट्रोल के लिए अपनाई जा रही सरकारी पॉलिसियां ज्यादा जिम्मेदार मानी जा रही हैं। गत दिनों गेहूं पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला भी बेअसर हो गया। इससे सप्लाई पर बहुत बड़ा असर आया है। इसके साथ ही रेट काबू से बाहर जाते देख फैस्टिव सीजन को ध्यान में रखते हुए इंपोर्ट ड्यूटी को घटा कर 25 फीसदी के स्थान पर 10 फीसदी कर दिया गया था। इसके अलावा अचानक 5 दिनों में आई 200 से 250 रुपए की तेजी को गत दिनों सरकार का नोट बैन का घटनाक्रम भी माना जा रहा है।

नोट बैन से बाधित हुई सप्लाई 
गत 8 नवम्बर को नोट बैन की घोषणा से पहले गेहूं के रेट 1900-2100 रुपए के बीच बने हुए थे, लेकिन, अगले दिन से 1000 और 500 के नोट बंद होने से सप्लाई पर दबाव बनना शुरू हो गया। मंडियों में गेहूं की खरीद कैश में ही होती है इस लिए गेहूं खरीद में बाधा आने लगी। 

प्रोडक्शन के हवा-हवाई आंकड़े 
सरकार ने 2 वर्ष के सूखे के बावजूद गेहूं प्रोडक्शन को लेकर भारी-भरकम आंकड़े पेश किए थे। सरकार के अग्रिम अनुमान में इसे और बढ़ा कर 9.44 करोड़ कर दिया गया लेकिन अगस्त की शुरूआत में जारी चौथे अनुमान में सरकार ने गेहूं प्रोडक्शन का आंकड़ा पहले और दूसरे से घटाकर 9.35 करोड़ कर दिया। ऐसे में सरकार के हवा-हवाई आंकड़ों ने फ्लोर इंडस्ट्री में गफलत पैदा कर दी। जबकि प्राइवेट फ्लोर मिलें इस वर्ष गेहूं प्रोडक्शन को सिर्फ  8.5 करोड़ टन ही मानकर चल रही हैं। वास्तव में गेहूं प्रोडक्शन 6.6 करोड़ टन के आसपास ही है।

खरीद की चाल ने खोली पोल 
* मोदी सरकार ने इस वर्ष गेहूं खरीद का 3 करोड़ टन का टार्गेट रखा था। 
* 2 माह बाद ही सरकार के अग्रिम अनुमानों की खरीद की चाल ने पोल खोल दी। 
* अंत तक आते-आते खरीद सिर्फ  2.3 करोड़ टन ही हो पाई। 
* सैंट्रल पूल की बात करें तो यह भी गत 9 वर्ष के लो लैवल पर पहुंच चुका है। 
* पब्लिक व्हीट स्टॉक इस समय लगभग 2.1 करोड़ टन के आसपास ही रह गया है
* ओपन मार्कीट सेल लिमिट में भी कई बार बदलाव किए। 
* इंपोर्ट ड्यूटी घटने से सौदे तेज हो गए। 

गेहूं के रेट एक माह में 35 फीसदी बढ़े
गेहूं पर सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) बढ़ाने के बाद थोक बाजार  में इसके रेट में तेजी दर्ज की गई। एक माह में गेहूं 35 फीसदी तक महंगा हो चुका है।
खाद्य वस्तुओं के भाव दिल्ली के नया बाजार, लारैंस रोड और आजादपुर थोक मंडी के हैं।

दाल/सब्जी आज का दाम गत सप्ताह गत माह
अरहर दड़ा 84-87 80-82 82-84
मसूर दाल 64-65 63-64 64-65
दाल चना 132-133 128-129 130-131
चावल शरबती 30-36 29-35 29-34
गेहूं दड़ा 24.70 21.10 18.40
तेल सरसों 88.00 85.00 85.50
चीनी रामपुर 35.40 35.85 36.50
आलू 9.00 9.00 8.00
प्याज 10.00 9.00 8.00
टमाटर 9.00 10.00 9.00

 

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