पांच वर्षाें में 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरतः जेटली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 04:22 PM

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ ही देश की आर्थिक विकास दर सात से आठ प्रतिशत पर बनी हुई है और देश को अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार है। जेटली ने यहां हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप...

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ ही देश की आर्थिक विकास दर सात से आठ प्रतिशत पर बनी हुई है और देश को अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार है। जेटली ने यहां हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में कहा कि भारत ने विकास दर का सात से आठ फीसदी के बीच मानकीकृत कर लिया है। यदि इसमें गिरावट आती है तो यह सात प्रतिशत की ओर लुढ़कती है और यदि इसमें तेजी आती है तो यह आठ प्रतिशत की ओर बढ़ती है। अभी सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 2.5 लाख करोड़ डॉलर के करीब है।

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भारी निवेश की जरूरत
उन्होंने 10 फीसदी विकास दर हासिल करने को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षाें में भारत ने सात से आठ प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। हालांकि 10 फीसदी की विकास दर हासिल करना चुनौतीपूर्ण है और यह सिर्फ घरेलू कारकों के बल पर हासिल नहीं किया जा सकता है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर सकारात्मक रूख की जरूरत होगी। जेटली ने कहा कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भारी निवेश की जरूरत है। इस क्षेत्र में अगले पांच वर्षाें में 50 लाख करोड़ रुपए निवेश करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि देश में वैश्विक स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण अभी भी चुनौती पूर्ण है क्योंकि भारत आमतौर पर ‘कर अनुपालना’ वाला समाज नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 -17 के दौरान भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर 60 लाख करोड़ रुपए व्यय किया है। हाल में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यय में बढ़ौतरी की है और चालू वित्त वर्ष के बजट में 3.96 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

वित्तीय घाटा को कम करने में मिली सफलता
उन्होंने कहा कि सरकार चालू खाता घाटा को नियंत्रित रखने में सक्षम है और पिछले कुछ वर्षाें में भारत वित्तीय घाटा को कम करने में सफल रहा है। इस तरह कुल मिलाकर भारत उस स्थिति करीब है जहां देश जितना कमाएगा उतना व्यय कर सकेगा और तुलनात्मक रूप से ऋण कम लेना होगा। उन्होंने कहा कि भारत पिछले कुछ वर्षाें से वित्तीय घाटा का लक्षित दायरे में रखने में सफल रहा है और चालू वित्त वर्ष में भी इसको हासिल करेगा। चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा को जी.डी.पी. के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.5 प्रतिशत रहा था।

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