निर्यात बढ़ाने के लिए लागत घटाना जरुरीः प्रभु

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 04:26 PM

need to reduce costs to increase exports

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने उत्पादों की गुणवत्ता पर जोर देेते हुए आज कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए इनकी लागत घटाना आवश्यक है। प्रभु ने यहां ‘58वें राष्ट्रीय लागत सम्मेलन 2018’...

नई दिल्लीः केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने उत्पादों की गुणवत्ता पर जोर देेते हुए आज कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए इनकी लागत घटाना आवश्यक है। प्रभु ने यहां ‘58वें राष्ट्रीय लागत सम्मेलन 2018’ को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले सात साल में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की तैयारी शुरु कर दी है। इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट, कॉस्ट एकाउंटेंट और कंपनी सेकेट्री की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। दो दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन ‘द इंस्टीटयूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंटस् ऑफ इंडिया’ ने किया है।

उन्होंने चीन की अर्थव्यवस्था के विस्तार का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें कम लागत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए लागत घटाने पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि लागत घटाने के लिए गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए बल्कि लागत कम करने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक तैयारी का सहारा लेना चाहिए। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सफल होने के लिये प्रतिस्पर्धी कीमत और उच्च गुणवता जरुरी है। भारतीय विशेषज्ञों को इसी तथ्य को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।

प्रभु ने कहा कि भारतीय कंपनियों को उत्पादों और सेवाओं की कम लागत और मूल्य संवर्धन पर जोर देना होगा। यह तथ्य नहीं भूला जा सकता कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तथा विकास को गति दी जा सकती है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विनिर्माण, कृषि एवं सेवा क्षेत्र पर बल देने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों पर निरंतर बल देने से पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें निजी क्षेत्र को भागीदार बनाया जा रहा है और सरकार केवल सुविधाप्रदाता की भूमिका में रहेगी।  

 

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