1 नवंबर से बेनामी लेन-देन करने पर 7 साल की सजा, पजेशन में देरी पर चुकानी होगी भारी कीमत

Edited By ,Updated: 01 Nov, 2016 02:13 PM

new law to curb black money possession delay will pay heavy price

जल्द ही केंद्र सरकार रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के नियम जारी कर सकती है। यदि नियम लागू होने के बाद कोई बिल्डर ग्राहकों को पजेशन देने में देरी करता है तो उन्हें 12 फीसदी के हिसाब से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।

नई दिल्लीः जल्द ही केंद्र सरकार रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के नियम जारी कर सकती है। यदि नियम लागू होने के बाद कोई बिल्डर ग्राहकों को पजेशन देने में देरी करता है तो उन्हें 12 फीसदी के हिसाब से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। नियम नोटिफाई होने के बाद से बिल्डर्स की मनमानी और धोखाधड़ी पर लगाम लग सकेगी। इससे निश्चित तौर पर ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। 

दूसरी ओर काले धन पर लगाम कसने के लिए बेनामी संपत्ति की लेन-देने पर रोक से जुड़ा नया कानून 1 नवम्बर से लागू होगा।मतलब ये है कि पहली नवंबर के बाद अगर आप घर या जमीन अपने, अपने पति या पत्नी, बच्चे या फिर भाई-बहन के साध साझा तौर पर खऱीदने के बजाए किसी औऱ के नाम से खरीदते हैं और सरकार को पता चला जाए तो वो ऐसी संपत्ति को जब्त करेगी। यही नहीं आपको सात साल तक की सजा और जमीन-जायदाद की मौजूदा बाजार कीमत के 25 फीसदी बराबर तक जुर्माना देना होगा।मूल रुप से बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी संपत्ति (मुख्य रूप से जमीन-जायदाद) से है जो होता है किसी औऱ के नाम से और उससे होने वाला फायदा कोई और उठाता है। कई बार तो संपत्ति जिसके नाम पर होती है, उसे भी इसका पता नहीं होता। ऐसा कर संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति सरकार को अपनी आमदनी की सही-सही जानकारी नहीं देता और टैक्स की चोरी करता है। नए कानून की वजह से ऐसा करना संभव नही हो सकेगा।

रियल एस्टेट एक्ट के नियम सबसे पहले केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होंगे। इनमें चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, दमन-दीव, नगर हवेली और लक्षदीप शामिल है। शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली में ये नियम एक महीने बाद लागू होंगे। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, और गोवा जैसे राज्य इस प्रक्रिया को पूरा करने की तैयारी में जुटे हुए हैं।मूल रुप से बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी संपत्ति (मुख्य रूप से जमीन-जायदाद) से है जो होता है किसी औऱ के नाम से और उससे होने वाला फायदा कोई और उठाता है। कई बार तो संपत्ति जिसके नाम पर होती है, उसे भी इसका पता नहीं होता। ऐसा कर संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति सरकार को अपनी आमदनी की सही-सही जानकारी नहीं देता और टैक्स की चोरी करता है। नए कानून की वजह से ऐसा करना संभव नही हो सकेगा।

अथॉरिटी के साथ रजिस्ट्रेशन के लिए डेवलपर्स को अपने पैन कार्ड की प्रमाणित कॉपी, बैलेंस शीट, ऑडिट किए हुए अकाउंट की जानकारी, कैश फ्लो स्टेटमेंट, प्रमोटर्स की लगातार 3 वर्ष की ऑडिटर्स रिपोर्ट, लीगल टाइटल डीड की ऑथेंटिक कॉपी और अगर प्रमोटर प्लॉट का मालिक न हो तो कोलेबोरेशन एग्रीमेंट की कॉपी जमा करनी होगी।

डेवेलपर्स को प्रोजेक्ट में ओपेन और क्लोज्ड पार्किंग एरिया के बारे में भी जानकारी देनी होगी। हर तिमाही के समाप्त होने के 15 दिन पूर्व प्रोजेक्ट से संबधित वेबपेज अपलोड करना होगा। इसमें अपार्टमेंट या प्लॉट की संख्या और उनकी कैटेगरी, फोटोग्राफ के साथ प्रोजेक्ट के स्टेटस, इंटरनल इन्फ्रास्ट्रक्चर और फोटो के साथ कॉमन एरिया के कंस्ट्रक्शन स्टेटस आदि की भी जानकारी देनी होगी।

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