'मजबूर' बैंकों को बनाया 'मजबूत', उद्योगपतियों का कर्जा नहीं किया माफः जेटली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 09:50 AM

no loan waiver for capitalists  says arun jaitley

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए जाने की अफवाहों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा रही है और नई पूंजी उपलब्ध कराकर अब तक ‘मजबूर’ रहे बैंकों को अब ‘मजबूत’ बैंक...

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए जाने की अफवाहों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा रही है और नई पूंजी उपलब्ध कराकर अब तक ‘मजबूर’ रहे बैंकों को अब ‘मजबूत’ बैंक बनाने में लगी है। जेटली ने कहा कि सरकार ने बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटाने किसी भी बड़े डिफाल्टर का कोई कर्ज माफ नहीं किया है।

उन्होंने इस पर खेद जताया कि पिछले कुछ दिनों से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि ‘‘बैंकों ने बड़े पूंजीपतियों के कर्ज माफ किए हैं।’’ इस तरह की अफवाहों को सिरे से खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के समक्ष इसकी जानकारी हो। ‘‘यह पूछा जाना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2008 से 2014 के बीच किसके कहने पर वे कर्ज दिए जो आज एनपीए बन गए हैं।’’ जेटली ने आगे कहा, ‘‘अफवाहें फैलाने वालों से जनता को पूछना चाहिए कि किसके कहने पर और किसके दबाव में ये कर्ज वितरित किए गए। उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि जब इन कर्ज लेनदारों ने बैंको को कर्ज और ब्याज का भुगतान करने में देरी की तो तत्कालीन सरकार ने क्या फैसला किया और क्या कदम उठाए।’’

उन्होंने कहा कि समय पर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बजाय उस समय की सरकार ने कर्ज वर्गीकरण के नियमों में ही राहत दे दी ताकि उनके रिण खातों को एनपीए खातों में जाने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जब संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा की तो 4.54 लाख करोड़ रुपए के कर्ज जिन्हें वास्तव में एनपीए होना चाहिए था उन्हें एनपीए होने से छिपाए रखा गया और बाद में इनकी पहचान हुई। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘‘सरकार ने बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वाले किसी भी बड़े कर्जदार का ऋण माफ नहीं किया है।’’ उन्होंने आंकड़ों के साथ आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार (कांग्रेस नीत संप्रग सरकार) के कार्यकाल में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को छिपाया गया। एनपीए की सही पहचान से यह स्पष्ट हुआ है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2015 के 2,78,000 करोड़ रूपए से बढ़कर जून 2017 में 7,33,000 करोड़ रूपए हो गया। 
 

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