सवालों के जवाब न देने वालों के घर कभी भी पहुंच सकते हैं IT अधिकारी!

Edited By ,Updated: 21 Feb, 2017 11:59 AM

not to answer questions at any time can access the home of it officer

नोटबंदी के दौरान जिन लोगों ने अपने खाते में मोटी रकम जमा की थी और नकदी के स्रोत की जानकारी अब तक नहीं दी है, उनके घर आयकर विभाग के अधिकारी कभी भी पहुंच सकते हैं।

नई दिल्लीः नोटबंदी के दौरान जिन लोगों ने अपने खाते में मोटी रकम जमा की थी और नकदी के स्रोत की जानकारी अब तक नहीं दी है, उनके घर आयकर विभाग के अधिकारी कभी भी पहुंच सकते हैं। कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने इस अभियान को ऐसा रखने की कोशिश की है कि यह दखलंदाजी न लगे लेकिन अगर लोग खुद आगे नहीं आते तो खासतौर पर बड़े डिपॉजिट वाले मामलों में कुछ वेरिफिकेशन की जरूरत होगी।'

ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत ऐसे 18 लाख लोगों को एसएमएस और ई-मेल भेजे हैं, जिनके बैंक अकाऊंट में 50 दिनों के डीमॉनेटाइजेशन विंडो के दौरान 5 लाख रुपए से ज्यादा रकम जमा कराई गई थी और जिनके डिपॉजिट ट्रांजैक्शंस उनकी इनकम के हिसाब से मेल नहीं खाते। फेसलेस एक्सरसाइज के तहत लोगों से डिपार्टमेंट के पोर्टल पर डिपॉजिट के बारे में सफाई देने के लिए कहा गया है।

लगभग 7.3 लाख लोगों ने 15 फरवरी की बढ़ाई गई समय सीमा के दौरान ई-मेल का जवाब दिया और जमा पर सफाई दी है। जो सफाई नहीं देंगे, उनके मामले में डिपार्टमेंट वेरिफिकेशन करेगा। उनसे इनकम टैक्स ऑफिस आकर डिपॉजिट के बारे में सफाई देने के लिए कहा जा सकता है। ऑफिस नहीं आने पर टैक्स ऑफिसर उनके घर जाएंगे।

नोटबंदी के दौरान जिन लोगों ने मोटी रकम जमा कराई थी लेकिन उसके बारे में सफार्इ नहीं दी थी, उनके पास प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत 50 फीसदी टैक्स देकर और 25 फीसदी रकम 4 साल के लिए बिना ब्याज जमा कराने का मौका होगा।

इनकम टैक्स अफसर ऐसे कुछ बड़े मामलों में नोटिस भेजने या सर्वे करने के बारे में सोच रहे हैं, जिनमें लोगों ने उस डिपॉजिट के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दिया था, जो उनकी घोषित आय से ज्यादा थी। सूत्र ने कहा, 'जिन मामलों में जवाब संतोषजनक नहीं हैं, उनमें नोटिस जारी किया जाएगा। कुछ मामलों में जहां बड़ी रकम डिपॉजिट हुई है और जवाब संतोषजनक नहीं हैं, उनमें सर्वे कराए जाएंगे।'

आयकर विभाग ऑपरेशन क्लीन मनी पार्ट 2 के तहत जल्द ई-मेल और एसएमएस भेजना शुरू करेगा। इसमें 5 लाख रुपए से कम डिपॉजिट के उन मामलों को कवर किया जाएगा जिनकी पहचान बिग डेटा ऐनालिटिक्स से की गई है। विभाग को नोटबंदी के दौरान हुए डिपॉजिट्स पर बैंकों से बहुत से आंकड़े मिले हैं जिनकी जांच की जा रही है। डिपार्टमेंट डिपॉजिट स्प्लिटिंग या डिपार्टमेंट की नजर में आने से बचने के मकसद से किए गए दूसरे उपाय की पहचान करने के लिए बाहरी एक्सपर्ट्स को हायर कर रहा है। पहचाने गए डिपॉजिटर्स से सफाई देने के लिए कहा जाएगा।

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