Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Nov, 2017 05:15 PM
लागत कम करने और बैलेंसशीट सुधारने के लिए मशक्कत कर रही निजी कंपनियां चालू वित्त वर्ष में नयी नौकरी देने के मूड में नहीं दिख रहीं। उद्योग संगठन एसोचैम ने अपने सदस्यों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह बात कही है। उसका कहना है कि...
नई दिल्लीः लागत कम करने और बैलेंसशीट सुधारने के लिए मशक्कत कर रही निजी कंपनियां चालू वित्त वर्ष में नयी नौकरी देने के मूड में नहीं दिख रहीं। उद्योग संगठन एसोचैम ने अपने सदस्यों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह बात कही है। उसका कहना है कि कंपनियों का फोकस इस समय अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने, मुख् य कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने तथा अन्य कारोबार समेटने और बैलेंसशीट बेहतर बनाने पर है।
कम से कम अगले वित्त वर्ष तक वे अपना मुनाफा बढ़ाने तथा लागत कम करने पर ध्यान देंगी। रिपोर्ट में कहा गया है इन परिस्थितियों में संभवत: दो तिमाहियों तक नई भर्तियों की संभावना नहीं है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष में वस्तुस्थिति में सुधार की उम्मीद है। वेतन के मद में लागत कम करना अल्पकाल में कंपनियों की प्राथमिकता होगी।
एसोचैम के अनुसार, लागत कम करने के प्रयास सबसे ज्यादा दूरसंचार, वित्तीय (बैंकिंग एवं गैर-बैंकिंग), सूचना प्रौद्योगिकी, रियलिटी और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में हो रहे हैं। उसने कहा है कि पुन: मुद्रीकरण के बाद सरकारी बैंक भी कर्मचारियों और परिचालन पर खर्च का अनुपात कम करेंगे जिससे उस क्षेत्र में भी नई नौकरियों में कमी आएगी। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय साख निर्धारक एजेंसी मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग बढ़ाने से धारणा को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन इसके बावजूद निजी क्षेत्र के लिए अगली दो तिमाहियाँ चुनौती भरी होंगी। ।