नोट बैनः कार बिक्री को लगेगा झटका

Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 04:40 PM

note ban will hit car sales

पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने के सरकार के फैसले से न केवल आम लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है बल्कि लघु अवधि में यह वाहन उद्योग की मांग को भी प्रभावित कर सकता है।

नई दिल्लीः पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने के सरकार के फैसले से न केवल आम लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है बल्कि लघु अवधि में यह वाहन उद्योग की मांग को भी प्रभावित कर सकता है। ऐतिहासिक तौर पर नवंबर और दिसंबर कारों की बिक्री के लिहाज से बेहतरीन महीने नहीं होते और अब उसमें और अधिक गिरावट आएगी। उद्योग का मानना है कि जाहिर तौर पर लघु अवधि में इससे थोड़ी परेशानी हो सकती है लेकिन बैंकिंग प्रणाली से बेनामी नकदी को बाहर किए जाने से वाहनों की बिक्री पर मध्यम एवं दीर्घावधि प्रभाव दिखेंगे।

वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा कि करीब 75 से 80 फीसदी वाहनों की बिक्री ऋण के जरिए होती है। उन्होंने कहा कि बेनामी रकम पर किसी भी तरह के प्रतिबंध से शेष लेनदेन के लिए पर्याप्त नियंत्रण एवं संतुलन स्थापित होगाC उन्होंने कहा, 'हालांकि लॉजिस्टिकल कारणों से लधु अवधि में मांग प्रभावित होगी। शहरी क्षेत्रों में अधिकांश लेनदेन वित्त पोषण के जरिए किए जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी हिस्सेदारी काफी कम है। नकदी की कमी मांग को प्रभावित कर सकती है। लोग खरीदारी को फिलहाल टाल सकते हैं।'

अक्टूबर में यात्री वाहनों की बिक्री मेंं पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.4 फीसदी का इजाफा हुआ। हालांकि सितंबर में हुई बिक्री के मुकाबले अक्टूबर में रफ्तार पहले ही सुस्त रही।

माथुर ने बताया कि भारत में यात्री कारों की करीब 35 फीसदी बिक्री ग्रामीण बाजारों से आती है और दोपहिया वाहनों के मामले में यह आंकड़ा कहीं अधिक यानी करीब 50 फीसदी है। डीलरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार खरीदते समय खरीदार आमतौर पर नकदी में अग्रिम भुगतान करना चाहते हैं क्योंकि कृषि से होने वाली उनकी आमदनी भी नकदी में होती है। इसके अलावा भूमि की खरीद-बिक्री के एक हिस्से का लेनदेन भी नकदी में होता है। एक जर्मन कार कंपनी के डीलर ने कहा, 'कृषि से होने वाली आय कारों खासकर लक्जरी कारों की मांग को संचालित नहीं करती है। बल्कि बिक्री मुख्य तौर पर जमीन-जायदाद की बिक्री एवं अन्य स्रोतों से होने वाली आय से होती है। अब चूंकि इन परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में उल्लेखनीय कमी आएगी, इसलिए मांग में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।'
 
 

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