ऑटोमोबाइल बाजार पर नोटबंदी की मार, वाहनों की बिक्री गिरी

Edited By ,Updated: 10 Dec, 2016 07:18 PM

noteban hit automobile industry  vehicle sales fell

नोटबंदी का असर छोटे बड़े सभी औद्योगिक सैक्टरों पर पड़ रहा है।

नई दिल्लीः नोटबंदी का असर छोटे बड़े सभी औद्योगिक सैक्टरों पर पड़ रहा है। मार्कीट में कैश फ्लो न होने के कारण कस्टमर्स ने खरीदारी से हाथ खींच लिया है। नोटबंदी का तगड़ा झटका ऑटोमोबाइल बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। जानकारों का मानना है कि टू-व्हीलर व लग्जरी कारों की बिक्री पर 40-50% असर पड़ा है जो आने वाले 6 महीने से एक साल तक देखने को मिल सकता है। कारोबारियों की मानें तो नोटों पर पाबंदी के बाद से जहां दिन में 10 से 12 बाइकों की बिक्री होती थी, वहीं महज तीन से चार बाइक की ही बिक्री हो रही हैं।

पैसेंजर कारों की बिक्री में मामूली इजाफा 
500 और 1000 के नोट बंद होने का असर नवंबर के महीने में ऑटो सैक्टर की बिक्री पर पड़ा है। ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम के मुताबिक जहां नवंबर के महीने में पैसेंजर कारों की बिक्री में मामूली इजाफा हुआ, तो बाकी श्रेणी में भी वाहनों की बिक्री में तेजी से गिरावट आई है। दोपहिया वाहनों में करीब 6 फीसदी और कमर्शियल व्हीकल बिक्री भी इस महीने 11.5% गिरी है। नोटबंदी से ऑटो कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित है।

जीरो प्रतिशत पर कार फाइनेंस के ऑफर
नोटबंदी की मार से उबरने के लिए कार निर्माता कंपनियों ने जहां एक ओर अपने डीलर्स के बिक्री टार्गेट में कमी की है, वहीं डीलर्स के माध्यम से ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कम ब्याज दर व जीरो प्रतिशत पर कार फाइनेंस कराने जैसे ऑफर शुरू किए हैं। कार डीलर्स का मानना है कि छोटी कारों की सेल में ज्यादा दिनों तक कमी नहीं रहेगी। क्योंकि यह कारें बैंक द्वारा फाइनेंस व लोन के द्वारा खरीदी जाती हैं। जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे।

शादियों के सीजन के बाद और बढ़ेगी मुश्किलें
नवंबर माह में शादियों के सीजन होने के बाद भी लग्जरी गाडिय़ों और बाइक की बिक्री आधे से भी कम हो गई है। महज ऑनलाइन पेमेंट व चेक के माध्यम से शादी-विवाह के लिए गाडिय़ों की खरीददारी हो रही है। लेकिन आने वाले समय में शादियों का सीजन समाप्त हो जाने के बाद ऑटोमोबाइल कारोबार में और अधिक मंदी देखने को मिल सकती है।

पुरानी कारों की बिक्री पर भी असर
नोटबंदी का असर नई कारों की बिक्री पर ही नहीं पुरानी कारों की खरीद-फरोक्त पर भी पड़ा है। नोट बंदी ने पुरानी कारों के बाजार की कमर तोड़कर रख दी है। राजधानी के विभिन्न हिस्सों में मौजूद पुरानी कारों के बाजार में इस समय ग्राहक नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते पुरानी कारों की खरीद फरोख्त करने वाले हजारों दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। उनका मानना है कि पुरानी कारों के बाजार को पुराने रंग रूप में आने में लंबा समय लगेगा। 

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