अब सभी बैंकों की रेटिंग कराने की तैयारी में रिजर्व बैंक

Edited By ,Updated: 23 May, 2017 01:00 PM

now  in preparing for the rating of all the banks  the reserve bank

आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक खुद बैंकों की रेटिंग करवा सकता है। एक बयान में आरबीआई ने कहा है कि एन.पी.ए.

नई दिल्लीः आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक खुद बैंकों की रेटिंग करवा सकता है। एक बयान में आरबीआई ने कहा है कि एन.पी.ए. से निपटने में रेटिंग एजेंसियों की अहम भूमिका होगी। केंद्रीय बैंक अपने स्तर पर करवाएगा इसके लिए बैंकों से कुछ राशि लेकर फंड बनाया जाएगा। रेटिंग एजेंसियों को उसी फंड से भुगतान होगा। रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह एन.पी.ए. से निपटने के लिए ओवरसाइट कमेटी का पुनर्गठन करेगा।इसमें सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इस कमेटी में अभी सिर्फ दो मेंबर हैं। आर.बी.आई. के स्वतंत्र निदेशकों की भी एक कमेटी बनाई जाएगी जो एन.पी.ए. पर सुझाव देगी।

ग्राॅस एन.पी.ए. 7.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा
बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) दिनों-दिन खतरनाक स्तर की ओर बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक जितने बैंकों के नतीजे आएं हैं, उनके विश्लेषण से पता चलता है कि साल 2016-17 में उनका ग्रॉस एनपीए 7.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया इसमें एस.बी.आई. को छोड़ दें तो बाकी बैंकों का एनपीए 7.11 लाख करोड़ रुपए है, जो एक साल पहले 5.70 लाख करोड़ रुपए था। यानी पिछले साल इसमें 25% की बढ़ोतरी हुई। शुद्ध एन.पी.ए. में तो 58% वृद्धि हुई है, इससे पहता चलता है कि एन.पी.ए. कम करने के अभी तक जो भी उपाय हुए हैं, वे नाकाफी साबित हुए हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात निजी बैंकों का एन.पी.ए. है। ज्यादातर सरकारी बैंकों ने एन.पी.ए. को लेकर 2015-16 में कदम उठाने शुरू कर दिए थे, निजी बैंकों ने पिछले साल इस दिशा में कदम उठाए, इस वजह से इनका एन.पी.ए. 70% बढ़कर 85,000 करोड़ रुपए को पार कर गया। सरकारी बैंकों में एस.बी.आई. को छोड़ कर बाकी के एन.पी.ए. में 20% इजाफा हुआ है। 

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