नहीं दिया बेटे की मौत का क्लेम, अब बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी देगी 3.10 लाख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 09:44 AM

now bank and insurance company will pay 3 10 lakhs

जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने एक कर्मचारी बैंक खाता धारक को व्यक्तिगत दुर्घटना इंश्योरैंस (मौत) का बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी को मृतक के पिता को संयुक्त रूप में 3 लाख रुपए क्लेम देने सहित 10 हजार रुपए हर्जाना 30 दिन में अदा करने का आदेश दिया है।...

गुरदासपुरः जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने एक कर्मचारी बैंक खाता धारक को व्यक्तिगत दुर्घटना इंश्योरैंस (मौत) का बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी को मृतक के पिता को संयुक्त रूप में 3 लाख रुपए क्लेम देने सहित 10 हजार रुपए हर्जाना 30 दिन में अदा करने का आदेश दिया है। निर्धारित समय में भुगतान न करने पर बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी को 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करना होगा।

क्या है मामला
हरबंस लाल मैहन पुत्र जिज्ञास नाथ निवासी सुंदर नगर पठानकोट ने बताया कि उसका बेटा राहुल मैहन इंडियन नेवी में कर्मचारी था। पहले उसके वेतन का बैंक खाता विशाखापट्टनम में था जो बाद में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मेन ब्रांच ढांगू रोड पठानकोट में शिफ्ट हो गया। राहुल मैहन के बैंक खाते में बैंक की तरफ से 3 लाख का रिलायंस जनरल इंश्योरैंस कम्पनी के पास एक्सीडैंट इंश्योरैंस भी करवाया हुआ था परंतु 9 दिसम्बर 2015 को राहुल मैहन का एक्सिडैंट हो गया तथा इलाज के दौरान 17 दिसम्बर को उसकी मौत हो गई। पॉलिसी में राहुल मैहन का उत्तराधिकारी वह था।

जब उसने इस संबंधी बैंक से इंश्योरैंस क्लेम की मांग की तो  मैनेजर ने सारे कागज तैयार कर रिलायंस इंश्योरैंस के मुम्बई कार्यालय को भेजने की बजाय नैशनल इंश्योरैंस कार्यालय को भेज दिए। जब नैशनल इंश्योरैंस ने यह कागज वापस किए तो बैंक को अपनी गलती का पता चला। बैंक ने यह कागज रिलायंस इंश्योरैंस के हैदराबाद मुख्य कार्यालय भेज दिए परंतु रिलायंस कम्पनी की 180 दिन में क्लेम दाखिल करने की शर्त निकल गई तथा यह कागज रिलायंस कम्पनी के पास 192 दिन बाद पहुंचने पर कम्पनी ने 26 जुलाई 2016 को पत्र लिखकर क्लेम देने से इंकार कर दिया। उसने फिर फोरम का दरवाजा खटखटा कर याचिका दायर की।

यह कहा फोरम ने
फोरम के प्रधान नवीन पुरी ने बताया कि सभी पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फोरम ने आदेश सुनाया कि क्लेम फाइल करने में 12 दिन की देरी के लिए याचिकाकत्र्ता जिम्मेदार नहीं है इसलिए याचिकाकत्र्ता का क्लेम रद्द नहीं किया जा सकता। बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी बराबर के जिम्मेदार हैं। फोरम ने बैंक तथा इंश्योरैंस कम्पनी को याचिकाकत्र्ता को इंश्योरैंस की राशि 3 लाख रुपए तथा 10 हजार रुपए हर्जाना राशि 30 दिन में अदा करने का आदेश सुनाया।

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