Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 03:27 PM
बैंकों के लिए शिक्षा कर्ज भी अब समस्या बनती जा रही है। कर्ज लौटाने में चूक बढ़कर मार्च 2017 में कुल बकाए का 7.67 प्रतिशत हो गया जो दो साल पहले 5.7 प्रतिशत था। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के
नई दिल्लीः बैंकों के लिए शिक्षा कर्ज भी अब समस्या बनती जा रही है। कर्ज लौटाने में चूक बढ़कर मार्च 2017 में कुल बकाए का 7.67 प्रतिशत हो गया जो दो साल पहले 5.7 प्रतिशत था। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में कुल शिक्षा कर्ज 67,678.5 करोड़ रुपए पहुंच गया। इसमें 5,191.72 करोड़ रुपए एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) हो गया।
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बढ़े फंसे कर्ज से पहले ही जूझ रही है और उन्हें मजबूत करने के लिये पूंजी डालने की बड़ी योजना तैयार की है। आई.बी.ए. के आंकड़े के अनुसार क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कुल कर्ज के प्रतिशत के रूप में लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2014-15 में एनपीए 5.7 प्रतिशत थी जो 2015-16 में 7.3 प्रतिशत तथा पिछले वित्त वर्ष में 7.67 प्रतिशत पहुंच गई।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पूर्व में आई.बी.ए. की शिक्षा कर्ज योजना के माडल में संशोधन किया जिसका मकसद इस क्षेत्र में एनपीए के प्रभाव को कम करना था। योजना में जो बदलाव किये गये, उसमें भुगतान की अवधि बढ़ाकर 15 साल करना तथा 7.5 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण के लिये ‘क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फार एजुकेशन लोन’ (सीजीएफईएल) की शुरूआत शामिल हैं।
सीजीएफएल कर्ज में चूक होने पर 75 प्रतिशत की गारंटी उपलब्ध कराता है। आईबीए के आंकड़े के अनुसार शिक्षा ऋण के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक का एनपीए मार्च 2017 के अंत में सर्वाधक 671.37 करोड़ रुपये रहा। उसके बाद क्रमश: एसबीआई (538.17करोड़ रुपए) तथा पंजाब नेशनल बैंक (478.03 करोड़ रुपए) का स्थान रहा।