Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 02:31 PM
केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों और आयातकों की मनमानी पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। नैशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एन.पी.पी.ए.) ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक दवा कंपनियां एक साल में दवाओं या उपकरणों की कीमतों में 10 प्रतिशत से...
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों और आयातकों की मनमानी पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। नैशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एन.पी.पी.ए.) ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक दवा कंपनियां एक साल में दवाओं या उपकरणों की कीमतों में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगी।
आदेश न मानने पर लाइसेंस होगा रद्द
एन.पी.पी.ए. के आदेश के मुताबिक अगर कोई कंपनी इस आदेश को नहीं मानती तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और उसके खिलाफ पूरी कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। एन.पी.पी.ए. का ये आदेश उस रिपोर्ट के बाद जारी किया गया है जिसमें खुलासा किया गया था कि किस तरह प्राइवेट अस्पताल दवाईंयों पर अपनी मनमानी एम.आर.पी. लिखवाकर उसको भारी मुनाफे में बदल रहे हैं। एन.पी.पी.ए. का ये आदेश सभी दवाओं पर लागू होगा चाहे वो दवाएं सरकार के नियंत्रण में ही क्यों ना हों।
कौन करेगा निगरानी
आदेश को लागू करने और इसकी निगरानी के लिए एन.पी.पी.ए. के लिए ये काम सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सी.डी.एस.सी.ओ.) करेगा। यही ऑर्गनाइजेशन दवा कंपनियों को दवा बनाने और उनको बेचने या आयात करने का लाइसेंस भी देता है। इसके बाद अगर दवा कंपनियां अपनी मनमर्जी करती हुई दवाओं के दाम बढ़ाती हैं तो उनसे बढ़ी हुई कीमत उनसे ब्याज के साथ वसूली जाएगी।