Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 01:39 PM
मोदी सरकार समय-समय पर शेल कंपनियों पर सख्त होती जा रहा ही है । इन कंपनियों पर सरकार एक और एक्शन लेने की तैयारी कर रही है जिसके तहत कंपनियां अपनी प्रॉपर्टी बेच नहीं पाएगी । इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी भी भेज दी है जिसमें कहा गया...
नई दिल्लीः मोदी सरकार समय-समय पर शेल कंपनियों पर सख्त होती जा रहा ही है । इन कंपनियों पर सरकार एक और एक्शन लेने की तैयारी कर रही है जिसके तहत कंपनियां अपनी प्रॉपर्टी बेच नहीं पाएगी । इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी भी भेज दी है जिसमें कहा गया है। ऐसी कंपनियां या उनके प्रमोटर प्रॉपर्टी बेचकर निकले के फिराक में हैं, उन पर कड़ी नजर रखी जाए जिससे कि वह किसी भी तरह अपनी प्रॉपर्टी को बेचकर निकल न जाए।
ऐसी कंपनियों के ऊपर प्रॉपर्टी बेचने पर रोक उन्हें क्लीन चिट मिलने तक बनी रहेगी। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्यों को शेल या डिफॉल्टर कंपनियों पर सख्ती के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कहा गया है कि संदिग्ध ट्रांजैक्शन करने वाली कंपनियों पर कड़ी नजर रखी जाए। इसके तहत न केवल उनके बैंक अकाउंट सीज किए जा रहे हैं, वहीं ऐसी कंपनियों की चल-अचल संपत्ति पर भी नजर रखी जाय। इसके तहत राज्यों को कहा गया है कि वह ऐसी कंपनियों को प्रॉपर्टी न बेचने दे।
कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री से मिले आंकड़ों के अनुसार देश में नवंबर तक करीब 5 लाख कंपनियां बंद हो चुकी है। जिसमें 2.24 लाख कंपनियां ऐसी हैं जो दो साल से इन एक्टिव हैं। यहीं नहीं ब्लैकमनी पर लगाम कसने के लिए 3 लाख से ज्यादा डायरेक्टर को डिसक्वालीफाई भी किया गया है। सरकार को इस बात का डर है कि कई लोग शेल कंपनियों के जरिए ब्लैकमनी का ठिकाने लगा रहे हैं। जिसके आधार पर शेल कंपनियों पर सरकार सख्त नजर आ रही है।