सूखे प्याज के निर्यात में आई तरावट

Edited By ,Updated: 20 Jun, 2016 02:02 PM

onion farmer

भले ही प्याज के गिरते दामों ने किसानों की आंखों में आंसू ला दिए हों, लेकिन इस जिंस ने डिहाइड्रैशन इकाइयों को बड़ी राहत दी है।

नई दिल्लीः भले ही प्याज के गिरते दामों ने किसानों की आंखों में आंसू ला दिए हों, लेकिन इस जिंस ने डिहाइड्रैशन इकाइयों को बड़ी राहत दी है। प्याज के कम दामों से भारत का डिहाइड्रैटिड प्याज वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर रहा है जिससे देश से निर्यात दोगुना हो गया है। जनवरी से मई तक की अवधि में डिहाइड्रैटिड (सूखा) प्याज का निर्यात सालाना आधार पर 12,000 टन से बढ़कर 25,000 टन हो गया है। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि घरेलू बाजार में प्याज की कम कीमतों के चलते भारत से निर्यात होने वाले डिहाइड्रैटिड प्याज की कीमतें 700 डॉलर प्रति टन घटकर करीब 1,800 डॉलर प्रति टन हो गई हैं।

 

उद्योग को 2016 में निर्यात 50,000 टन से अधिक रहने की उम्मीद है। प्याज की ऊंची कीमतों के कारण भारत 2015 में करीब 30,000 टन डिहाइड्रैटिड प्याज का ही निर्यात कर पाया था। इस समय थोक मंडियों में प्याज के दाम 3 से 7 रुपए प्रति किलोग्राम हैं, जो पिछले साल इस समय करीब 12 से 15 रुपए प्रति किलोग्राम थे। वर्ष 2015-16 में प्याज का उत्पादन बढ़कर 203 लाख टन पर पहुंच गया, जो 2014-15 में 189 लाख टन था। क्षत्रीय फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक असगर क्षत्रीय ने कहा, ''इस समय कच्चे प्याज की कीमतें हमारे पक्ष में हैं और अगर हम अपनी कीमतें 1,600 से 2,000 डॉलर प्रति टन बरकरार रखने में सफल हुए तो कुल इस साल दिसंबर तक कुल निर्यात 50,000 टन पर पहुंच सकता है।''

 

भारत डिहाइड्रैटिड प्याज का ज्यादातर निर्यात यूरोप, रूस, अमरीका और थोड़ी मात्रा में अफ्रीकी देशों को करता है। ज्यादातर निर्यात जनवरी से जून के दौरान होता है और हर साल पहली बारिश के बाद डिहाइड्रैशन इकाइयां नवंबर तक बंद हो जाती हैं। क्षत्रीय ने कहा, 'मानसून आने वाला है, इसलिए डिहाइड्रैशन इकाइयां अपनी इकाइयों को बंद करने की तैयारी कर रही हैं। जून के अंत तक सभी इकाइयां परिचालन बंद कर देंगी और अगले कुछ महीनों के लिए तैयार किए गए स्टॉक से कारोबार करेंगी।' भारत में करीब 90 डिहाइड्रैशन इकाइयां हैं। इनमें से 75 इकाइयां गुजरात में हैं, जबकि शेष महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हैं। हालांकि उद्योग निर्यात में वृद्धि दर्ज कर रहा है, पर घरेलू खपत में किसी सुधार की उम्मीद नहीं कर रहा है।

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