120 करोड़ भारतीयों में से केवल 4% लोग देते हैं टैक्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 11:17 AM

only 4 of the 120 million indians pay tax

वर्ष 2018-19 के आम बजट को विपक्ष ने सिरे से खारिज कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि वित्त मंत्री अरुण जेतली के इस बजट में आम आदमी और मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली। लेकिन इस बजट में एक राहत यह भी है कि कोई भी नया टैक्स नहीं लागू किया गया। महंगाई को...

नई दिल्लीः  वर्ष 2018-19 के आम बजट को विपक्ष ने सिरे से खारिज कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि वित्त मंत्री अरुण जेतली के इस बजट में आम आदमी और मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली। लेकिन इस बजट में एक राहत यह भी है कि कोई भी नया टैक्स नहीं लागू किया गया। महंगाई को काबू करने की कोशिश की गई है। नोटबंदी के बाद भले ही टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी हो लेकिन एक सच यह भी है कि इसके बाद भी हमारा सिस्टम बहुत पीछे है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि 133 करोड़ जनसंख्या वाले देश में सिर्फ 3 करोड़ 25 लाख लोग ही इन्कम टैक्स देते हैं। यानी देश के 133 करोड़ लोगों का बोझ सिर्फ सवा 3 करोड़ लोगों के कंधों पर है। 120 करोड़ भारतीयों में से केवल 4 प्रतिशत लोग तकरीबन 5.16 करोड़ इन्कम टैक्स रिटर्न भरते हैं। सरकार द्वारा हाल ही में टैक्स से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक किया गया जिससे इन्कम टैक्स से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं।

क्या कहते है आंकड़े 
2015-16 में 5.16 करोड़ लोगों ने इन्कम टैक्स रिटर्न फाइल किया जबकि 2014-15 में केवल 1.3 करोड़ लोगों ने इन्कम टैक्स का भुगतान किया था। कुल टैक्स पेयर्स, जिन्होंने रिटर्न फाइल किया, में से 54 प्रतिशत (1.7 करोड़) के ऊपर जीरो टैक्स देनदारी थी। 1.3 करोड़ इंडिविजुअल्स लोगों ने 2014-15 में टैक्स जमा किया। 1.1 करोड़ (85 प्रतिशत) लोगों ने 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष की दर से टैक्स दिया। केवल 3 ऐसे इंडिविजुअल्स हैं जिन्होंने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स दिया। देश में 63 कंपनियां ऐसी हैं जिनकी टैक्स देनदारी 500 करोड़ रुपए प्रति वर्ष से अधिक है।

महाराष्ट्र और दिल्ली से आता है कुल टैक्स का 53 प्रतिशत हिस्सा
देश में कलैक्ट होने वाले कुल इन्कम टैक्स का 53 प्रतिशत हिस्सा केवल 2 राज्यों महाराष्ट्र से 39.9 प्रतिशत और दिल्ली से 13.1 प्रतिशत आता है। 2014-15 में कुल टैक्स कलैक्शन में 39.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र सबसे ऊपर है। इसके बाद दिल्ली से 13.1 प्रतिशत, कर्नाटक से 8.7 प्रतिशत और तमिलनाडु से 6.4 प्रतिशत का नंबर आता है। 2008-09 से 2014-15 के बीच सिक्किम, मिजोरम, केरल, मध्य प्रदेश और नागालैंड इन्कम टैक्स कलैक्शन की ग्रोथ के मामले में टॉप 5 राज्य हैं।
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4 साल में जुड़े 80 लाख टैक्स पेयर्स
सरकार ने बताया कि पिछले 4 साल में 2011-12 से 2014-15 तक 80 लाख नए टैक्स पेयर्स जुड़े हैं। मार्च, 2015 के अंत तक देश में कुल टैक्स पेयर्स की संख्या 5.16 करोड़ थी। सरकार ने बताया कि अधिकांश नए टैक्स पेयर्स इंडिविजुअल्स श्रेणी के हैं। इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट ने 2000-01 से 2014-15 के लिए पहली बार टाइम सीरीज डाटा को सार्वजनिक किया है। 2014-15 में इन्कम टैक्स कलैक्शन में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा।

इन्कम टैक्स से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- भारत में केवल 10 लाख इन्कम टैक्स असैसी ऐसे हैं जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपए से अधिक है।
- 2012-13 में केवल 20,000 असैसी ने 1 करोड़ से अधिक सालाना आय का खुलासा किया था। वर्ष 2017 में कुल 3.1 करोड़ रिटर्न फाइल हुए थे जिनमें से 20 लाख लोग 5.5-9.5 लाख की टैक्स श्रेणी में थे।
- केवल 3 भारतीय सालाना 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का इन्कम टैक्स चुकाते हैं। 85 प्रतिशत टैक्स पेयर्स 1.5 लाख रुपए सालाना से कम टैक्स का भुगतान करते हैं।
- वित्त वर्ष 2014-15 में टैक्स असैसी की संख्या बढ़कर 5.16 करोड़ हो गई जो वित्त वर्ष 2011-12 में 4.36 करोड़ थी।
- 2000-01 में कलैक्ट हुए कुल टैक्स में डायरैक्ट टैक्स की हिस्सेदारी 36.31 प्रतिशत थी जिसका अनुपात 2015-16 में बढ़कर 51 प्रतिशत हो गया है।

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