देश में केवल 76 लाख भारतीय अपनी आय 5 लाख रुपए से अधिक दिखाते

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2017 05:52 PM

only 76 lakh indians showed income of over rs 5 lakh

वित्त मंत्री अरुण जेतली अपने बजट भाषण में कुछ आंकड़े दिए जिससे यह संकेत मिलता है कि देश का प्रत्यक्ष कर संग्रह अर्थव्यवस्था में आय एवं खपत के प्रतिरूप के अनुरूप नहीं है।

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेतली अपने बजट भाषण में कुछ आंकड़े दिए जिससे यह संकेत मिलता है कि देश का प्रत्यक्ष कर संग्रह अर्थव्यवस्था में आय एवं खपत के प्रतिरूप के अनुरूप नहीं है। वित्त वर्ष 2015-16 में 3.7 करोड़ लोगों ने टैक्स रिटर्न भरा जिसमें ने 99 लाख ने अपनी आय छूट सीमा 2.5 लाख रुपए से कम दिखाई। 1.95 करोड़ ने अपनी आय 2.5 से 5.0 लाख रुपए जबकि 52 लाख ने अपनी आय 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए दिखाई। केवल 24 लाख लोगों ने अपनी आय 10 लाख रुपए से अधिक दिखाई। कुल 76 लाख करदातओं ने अपनी आय 5 लाख रुपए से अधिक दिखाई, उसमें से 56 लाख वेतनभोगी हैं।

जेतली ने कहा कि आयकर रिटर्न में अपनी आय 50 लाख रुपए से अधिक दिखाने वाले केवल 1.72 लाख लोग हैं। उन्होंने कुछ आंकड़े रखे जिससे यह संकेत मिलता है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह आय एवं खपत के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तविकता है कि पिछले 5 साल में 1.25 करोड़ से अधिक कारें बिकी और वहीं 2015 में 2 करोड़ व्यापार या पर्यटन के लिए विदेश गए।’’  

जेतली ने कहा कि भारत का कर-जीडीपी अनुपात बहुत कम है और प्रत्यक्ष कर से अप्रत्यक्ष कर अनुपात सामाजिक न्याय लिहाज से अनुकूल नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि लगभग 4.2 करोड़ लोग संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं लेकिन वेतन के लिए केवल 1.74 करोड़ लोगों ने रिटर्न फाइल किए। वहीं असंगठित क्षेत्र में 5.6 करोड़ व्यक्तिगत उद्यमी और कंपनियां कार्यरत हैं लेकिन इस श्रेणी में रिटर्न केवल 1.81 करोड़ है। 

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