FCI के महाराष्ट्र स्थित गोदामों में 90% से ज्यादा खाद्यान्न हो रहा है खराब

Edited By ,Updated: 21 May, 2017 03:28 PM

over 90  of food grains in fci  s warehouses in maharashtra are getting worse

देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करने के लिए जहां एक आेर सरकार को आयात पर निर्भरता को बढ़ाना पड़ रहा है वहीं दूसरी आेर भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के गोदामों में खाद्यान्न के खराब होने की मात्रा लगातार बढ़ रही है।

नई दिल्लीः देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करने के लिए जहां एक आेर सरकार को आयात पर निर्भरता को बढ़ाना पड़ रहा है वहीं दूसरी आेर भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के गोदामों में खाद्यान्न के खराब होने की मात्रा लगातार बढ़ रही है। एफ.सी.आई. की आेर से सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) कानून के तहत उजागर किए गए आंकड़ों में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि एफ.सी.आई. के गोदामों में खराब होने वाले खाद्यान्न का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा महाराष्ट्र का है। खराब होने के कारण उपभोग के लिए जारी नहीं किए जा सकने वाले खाद्यान्न की मात्रा से जुड़े पिछले 6 साल के आंकड़ों में यह उजागर हुआ है।  

आर.टी.आई. कार्यकर्ता राम गुप्ता की आर.टी.आई. के जवाब के मुताबिक साल 2016-17 में एफ.सी.आई. के 25 राज्यों में मौजूद गोदामों में कुल 8679.39 मीट्रिक टन खाद्यान्न खराब हुआ। इसमें अकेले महाराष्ट्र में स्थित एफ.सी.आई. के गोदामों में 7963.36 मीट्रिक टन खाद्यान्न को उपयोग में नहीं लाए जा सकने योग्य करार दिया गया। इसके बाद असम में 205.16 मीट्रिक टन खाद्यान्न खराब हुआ।   

खाद्यान्न खराब होने के मामले में पिछले सालों के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि साल 2011-12 की तुलना में पिछले वित्त वर्ष तक खाद्यान्न खराब होने की मात्रा में लगातार इजाफा हुआ है। खासकर साल 2016-17 में साल 2011-12 की तुलना में ढाई गुने तक का इजाफा हुआ। आंकड़ों के मुताबिक साल 2011-12 में एफ.सी.आई. के 25 राज्यों में स्थित गोदामों में कुल 3338.01 मीट्रिक टन खाद्यान्न खराब हुआ। इस साल भी महाराष्ट्र खाद्यान्न की खराबी में अव्वल रहा। यहां एफ.सी.आई. के गोदामों में 1473 मीट्रिक टन खाद्यान्न अनुपयोगी करार दिया गया। इसके बाद के सालों में खाद्यान्न खराब होने की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई। 

साल 2012-13 में कुल खाद्यान्न की खराबी घटकर 3148.44 मीट्रिक टन रहने के बाद साल 2013-14 में यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 24695.46 मीट्रिक टन पर जा पहुंचा। इस साल एफ.सी.आई. के कुल खराब हुए खाद्यान्न में आधा खाद्यान्न पश्चिम बंगाल में (12539.85 मीट्रिक टन) खराब हुआ। इसके अगले साल 2014-15 में उपभोग के लिए जारी नहीं किए जा सकने वाले खाद्यान्न की मात्रा घटकर 18847.23 मीट्रिक टन पर आ गई। हालांकि उस साल खाद्यान्न खराब होने के मामले में आेडिशा (7108.81 मीट्रिक टन) अव्वल रहा।  

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