रखें घर को प्रदूषण रहित

Edited By ,Updated: 04 Sep, 2016 02:13 PM

paint wooden board

हर कोई चाहता है कि उसका घर बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी स्वच्छ हो परंतु अधिकतर घरों में यह एक हकीकत है कि वे स्वच्छ नहीं होते हैं

जालंधरः हर कोई चाहता है कि उसका घर बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी स्वच्छ हो परंतु अधिकतर घरों में यह एक हकीकत है कि वे स्वच्छ नहीं होते हैं तथा उनमें प्रदूषण तक मौजूद होता है। बेशक देखने में कई घर काफी साफ-सुधरे लगते हों, जरूरी नहीं है कि वास्तव में उनके भीतर की हवा पूरी तरह स्वच्छ होगी। घर में अनेक ऐसी चीजें तथा तत्व होते हैं जिनसे भीतर प्रदूषण मौजूद रहता है। वैसे कुछ बातों का ध्यान रख कर अपने घर को हमेशा प्रदूषण मुक्त तथा इसके भीतर की हवा को शुद्ध बनाए रखना सम्भव हो सकता है। पेश हैं इसी संबंध में कुछ खास जानकारी। विषैले तत्व पैदा करने वाले 3 मुख्य बिल्डिंग मैटीरियल हैं पेंट, वुडन  बोर्ड तथा कार्पेट इसलिए इनके चुनाव  पर खास ध्यान देना चाहिए। 

पेंट: मकानों में ऐसे पेंट इस्तेमाल करने चाहिएं जिनसे वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाऊंड (वी.ओ.सी.) न निकलें। बाजार में कम मात्रा के वी.ओ.सी. वाले पेंट मिलते हैं। इनमें पैट्रोलियम की बजाय वाटर बेस्ड सॉल्वैंट मिलाए जाते हैं। इन पेंट का इस्तेमाल करने पर आंखों और सांस संबंधी खारिश नहीं होती तथा घर के अंदर हवा की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। 

वुडन बोर्ड: मीडियम डैन्सिटी फाइबर बोर्ड (एम.डी.एफ.) और पार्टिकल बोर्ड का इस्तेमाल करना निश्चित रूप से ईको फ्रैंडली एन्वायरनमैंट का सबसे अच्छा विकल्प होता है लेकिन इस स्थिति में इस्तेमाल किए जाने वाले गोंद की क्वालिटी का ध्यान रखना चाहिए। जिन्हें किसी भी तरह की गैस से एलर्जी है, उनके लिए तो यह सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। इनके अलावा ग्रीन वुड बोर्ड या बैम्बू मैट बोर्ड भी कम नुक्सानदेह हैं, साथ ही किफायती भी।

कार्पेट: कमरों में बिछाए जाने वाले वॉल-टु-वॉल कार्पेट भी सांस के मरीजों को तकलीफ दे सकते हैं। अगर इनकी सफाई ठीक ढंग से न की जाए तो इनमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। गैस निकालने वाले सिंथैटिक मैटीरियल की बजाय कुदरती तथा नॉन-टॉक्सिक मैटीरियल से बने कार्पेट खरीदें। अगर वॉल-टू-वॉल कार्पेट कि बजाय छोटे कार्पेट इस्तेमाल कर सकें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। साथ ही सफाई में भी सुविधा होगी। 

घर अधिक से अधिक हवादार हो: अगर आपका मकान अभी बन रहा है तो खिड़की-दरवाजों के प्लेसमैंट पर पूरा ध्यान दें। खासकर, किचन और बाथरूम में भरपूर क्रॉस वैंटीलेशन होना चाहिए। इन हिस्सों को हवादार बनाने के लिए एग्जॉस्ट फैन और इलैक्ट्रिक चिमनी जैसी अतिरिक्त चीजें इस्तेमाल की जा सकती हैं। अपार्टमैंट्स में खिड़की-दरवाजों की लोकेशन तय होती है और उन पर आपका बस नहीं चलता, ऐसे में विंडो ड्रैसिंग के जरिए पर्याप्त वैंटीलेशन पर ध्यान दें।

फर्नीशिंग: घर में इस्तेमाल फर्नीशिंग का भी असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ता है। सूती जैसे कुदरती सामग्री से बनी और साफ करने में आसान फर्नीशिंग चुनें।

लाइटिंग: अगर आपके घर में कुदरती रोशनी भरपूर आती है तो घर के अंदर के प्रदूषण से आपकी सेहत कभी खराब नहीं होगी। इसके अलावा, सांझे स्थान (जैसे लॉबी) में स्काई लाइट लगाना भी बेहतर उपाय है जो काफी लोकप्रिय भी है। अगर घर में कुदरती रोशनी की कमी है तो कृत्रिम रोशनी का सही चुनाव भी घर के माहौल को स्वस्थ रखता है। कम लाइट्स से आंखों में जलन, थकान और चिड़चिड़ेपन की शिकायत हो सकती है। कमरों में हमेशा पर्याप्त रोशनी रखें। काम करने वाली जगहों पर (किचन, लाइब्रेरी, स्टडी टेबल आदि) तेज सफेद रोशनी और रिलैक्स करने वाली जगहों पर सूदिंग लाइट सही रहती है। 

पैस्ट कंट्रोल: कुछ पेड़-पौधों में चिकित्सकीय गुण होते हैं और वे हवा को शुद्ध करते हैं। इनमें नीम, मैरीगोल्ड, तुलसी और सूरजमुखी आदि शामिल हैं। इन्हें घर में अवश्य लगाएं अगर आपने इंडोर प्लांट्स लगाए हैं तो ध्यान रखिए कि गमलों में पानी खड़ा न रहे। इंडोर फाऊंटेन और फ्लॉवर पॉट्स का पानी भी नियमित अंतराल पर जल्दी बदलते रहें ताकि इनमें मच्छर न पनप सकें। 

 

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