पतंजलि जमीन विवाद: सूचना उपलब्ध करवाने पर 2 अधिकारियों का तबादला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Oct, 2017 11:00 AM

patanjali land dispute  2 officials transferred on information provided

नागपुर में इस साल मार्च के महीने में फूड पार्क  के लिए राज्य सरकार द्वारा बाबा रामदेव को सस्ते दामों में जमीन उपलब्ध करवाने के मामले में नई जानकारी सामने आई है। खबर है कि इस मामले में पब्लिक आर.टी.आई. डाक्यूमैंट बनाने में मदद करने वाले 2 सूचना...

नई दिल्ली: नागपुर में इस साल मार्च के महीने में फूड पार्क  के लिए राज्य सरकार द्वारा बाबा रामदेव को सस्ते दामों में जमीन उपलब्ध करवाने के मामले में नई जानकारी सामने आई है। खबर है कि इस मामले में पब्लिक आर.टी.आई. डाक्यूमैंट बनाने में मदद करने वाले 2 सूचना अधिकारियों (पी.आई.ओ.) का एक हफ्ते बाद ही तबादला कर दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि यह कार्रवाई अधिकारियों को आर.टी.आई. का जवाब देने के खिलाफ की गई।

कम रेट पर कंपनी को दी गई जमीन
बता दें कि सरकार पर आरोप है कि उसने बाबा की कम्पनी को 1 करोड़ रुपए प्रति एकड़ के भाव वाली जमीन सिर्फ  25 लाख रुपए एकड़ के भाव में दी थी। पतंजलि आयुर्वेद नागपुर में 600 एकड़ जमीन में फूड पार्क बनाना चाहती है। सीनियर अधिकारियों और फाइनैंशियल रिफॉम्र्स के प्रिंसीपल सैक्रेटरी विजय कुमार ने ‘प्राइज वार’ के इस मुद्दे पर सवाल उठाया था। इस मामले में दायर आर.टी.आई. के जवाब में जमीन के पैसे कम कर पतंजलि को लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी गई है। यह जमीन महाराष्ट्र एयरपोर्ट डिवैल्पमैंट कम्पनी (एम.ए.डी.सी.) से जुड़ी है। दायर आर.टी.आई. की अपीलों को तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड़ के पास भेजा गया था। उन्होंने तब एम.ए.डी.सी. प्रभारी विश्वास पाटिल को सम्मन भेजकर सुनवाई के दौरान पेश होने के लिए कहा था। हालांकि इसके 12 दिनों बाद ही कम्पनी के 2 सूचना अधिकारियों के ट्रांसफर की सूचना आई। ये दोनों सुनवाई के दौरान भी शामिल हुए थे।

एम.ए.डी.सी. के मार्कीटिंग मैनेजर और नागपुर ब्रांच में पी.आई.ओ. अतुल ठाकरे का तबादला मुम्बई हैड ऑफिस में तथा मार्कीटिंग मैनेजर समीर गोखले को मुम्बई से नागपुर ब्रांच में भेजा गया जबकि ठाकरे 4 साल से अपनी पोस्ट पर थे, वहीं गोखले की नियुक्ति 4 महीने पहले ही हुई थी। इस बारे में ठाकरे ने बताया कि कम्पनी के पूर्व एम.डी. ने मेरे प्रोमोशन की बात कही थी लेकिन अचानक मेरा ट्रांसफर हो गया। वहीं गोखले कहते हैं कि ट्रांसफर प्रशासनिक कारणों से किया गया है।

ट्रांसफर रूटीन का हिस्सा
एम.ए.डी.सी. प्रमुख विश्वास पाटिल ने पद से रिटायर्ड होने के बाद से तबादले से जुड़ी किसी कॉल या मैसेज का रिप्लाई नहीं किया। पाटिल वर्तमान में स्लम री-डिवैल्पमैंट अथॉरिटी के प्रमुख के रूप में अपनी फाइल की मंजूरी पर जांच का सामना कर रहे हैं। एक एम.ए.डी.सी. अधिकारी ने कहा कि ट्रांसफर रूटीन का हिस्सा है। उसने आगे कहा कि यह संभव है कि नए लोगों को नागपुर में हमारे फील्ड ऑफिस भेजा जाता है और अनुभवी मार्कीटिंग मैनेजर को मुम्बई हैड ऑफिस में।

कार्रवाई अत्याचार का साफ मामला
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने इस मामले में कहा कि इस नियम का पालन करने पर अत्याचार का साफ  मामला है। इससे अधिकारियों को सूचना उपलब्ध करवाने में परेशानी होगी और यह एक गलत मिसाल पेश करता है। वहीं महिति अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु मानते हैं कि तबादले के समय से यह पता चलता है कि उन्होंने सोच-विचार कर ऐसा कदम उठाया जो कि आर.टी.आई. की भावना के खिलाफ  है। भास्कर ने यह भी कहा कि यदि दोनों पी.आई.ओ. सूचना उपलब्ध करवाने में अपनी अरुचि जाहिर करते तो उन पर राज्य सूचना विभाग द्वारा 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता था। 

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