Edited By ,Updated: 22 May, 2017 02:31 PM
इलैक्ट्रिफिकेशन व अटॉनमस वीइकल्स की परियोजनाओं और टेस्ला जैसी टैक्नॉलजी से हम पहले ही इलैक्ट्रिक कार्स को लेकर उम्मीद से लबरेज हैं। अब एक अध्ययन में भी यह बात सामने आ गई है कि 8 साल के भीतर पैट्रोल-डीजल कारें खत्म हो जाएंगी।
नई दिल्लीः इलैक्ट्रिफिकेशन व अटॉनमस वीइकल्स की परियोजनाओं और टेस्ला जैसी टैक्नॉलजी से हम पहले ही इलैक्ट्रिक कार्स को लेकर उम्मीद से लबरेज हैं। अब एक अध्ययन में भी यह बात सामने आ गई है कि 8 साल के भीतर पैट्रोल-डीजल कारें खत्म हो जाएंगी। कहा गया है कि पैट्रोल पंप व स्पेयर पार्ट्स की इतनी कमी हो जाएगी कि लोग इलैक्ट्रिक कारों की तरफ तेजी से रुख करेंगे।
स्टैनफर्ड के इकनॉमिस्ट टोनी सीबा का मानना है कि ग्लोबल ऑयल बिजनैस साल 2030 तक खात्मे की कगार पर आ जाएगा। हाल में आई एक अध्ययन रिपोर्ट में टोनी ने बताया कि इलैक्ट्रिक कारों का दौर ट्रांस्पोर्टेशन को पूरी तरह बदल कर रख देगा। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में छपी इस अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि 8 साल के भीतर पैट्रोल-डीजल कारें खत्म हो जाएंगी और मजबूरी में लोग इलैक्ट्रिक कारें व अटॉनमस वीइकल्स की तरफ तेजी से बढ़ेंगे।
टोनी का कहना है कि इलैक्ट्रिक वीइकल्स पर आने वाले खर्च के चलते उस वक्त कारें, बसें और ट्रक तेजी से घटेंगे, जिससे पैट्रोलियम इंडस्ट्री भरभराकर ढह जाएगी।
'Rethinking Transportation 2020-2030' शीर्षक के साथ छपी इस अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया है कि इलैक्ट्रिक व अटॉनमस वीइकल्स पर आने वाला खर्च पैट्रोल-डीजल के मुकाबले 10 गुना सस्ता होगा। साथ ही इलैक्ट्रिक वीइकल्स की लाइफ 16,09,344 km होगी, वहीं पैट्रोल-डीजल पर चलने वाले वाहनों की लाइफ 3,21,000 km ही होती है।
वह कहते हैं कि एक दशक से कम वक्त में ही पैट्रोल पंपों, स्पेयर पार्ट्स और मशीनरी की भारी कमी हो जाएगी। आपको बता दें कि ऑडी, फोक्सवैगन, मर्सेडीज बेंज और वॉल्वो जैसे ऑटोमेकर्स ने पहले ही इलेक्ट्रिक कार्स व अटॉनमस टेक्नॉलजी से हाथ मिला लिया है। भारत की बात करें तो यहां नागपुर शहर में महिंद्रा और ओला जैसी कंपनियां जल्द इलैक्ट्रिक कैब्स की शुरूआत करने जा रही हैं।