आलू किसान हुए बेहाल, 25 पैसे में बिक रहा एक किलो माल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 10:29 AM

potato farmers are poor  one kilo goods sold in 25 paisa

नया सीजन शुरू होते ही आलू किसान बेहाल हो गए हैं। उनकी मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। नई फसल के लिए कोल्ड स्टोरेज खाली करने के दबाव के बीच आलू के प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के स्टॉकिस्ट और गोदाम मालिकों को 20 से 25 पैसे प्रति किलोग्राम...

मुम्बई : नया सीजन शुरू होते ही आलू किसान बेहाल हो गए हैं। उनकी मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। नई फसल के लिए कोल्ड स्टोरेज खाली करने के दबाव के बीच आलू के प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के स्टॉकिस्ट और गोदाम मालिकों को 20 से 25 पैसे प्रति किलोग्राम के भाव आलू बेचना पड़ रहा है।

यही नहीं, किसान और स्टॉकिस्ट कोल्ड स्टोरेज से अपना माल निकाल नहीं रहे हैं क्योंकि गोदाम से निकालकर मंडी तक लाने में जितना खर्च आता है, उससे काफी कम भाव पर आलू बिक रहा है। यही वजह है कि आगरा के कोल्ड स्टोरेज मालिक सड़कों पर आलू फैंक रहे हैं। काफी मात्रा में आलू को खेतों में भी डाला जा रहा है ताकि अगली फसल से पहले बतौर जैविक खाद उसका इस्तेमाल किया जा सके।
 
उत्पादन लागत 5 रुपए प्रति किलो के आस-पास
देश के दूसरे हिस्सों के आलू किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी उपज की कीमत उत्पादन लागत से भी कम हो गई है। कुछेक जगहों को छोड़ दें तो देशभर में आलू के दाम 4 से 5.50 रुपए प्रति किलो हैं, जबकि उसकी उत्पादन लागत 5 रुपए प्रति किलो के आसपास आती है।

आगरा में आलू स्टॉकिस्ट विराज ट्रेडर्स के मालिक विशाल जैन ने कहा कि किसानों और स्टॉकिस्टों के पास कोल्ड स्टोरेज से अपना समूचा आलू निकालने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है क्योंकि 15 फरवरी से आने वाली नई फसल के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह बनानी है। कोल्ड स्टोरेज की साफ-सफाई और मुरम्मत आदि के लिए भी कम से कम 6 हफ्ते का समय चाहिए, इसलिए शीत गृहों के मालिक 31 दिसम्बर से पहले पूरा स्टॉक खाली करना चाहते हैं। 

कम आकार वाले आलू होने लगे खराब  
आगरा के आलू भंडारक शिव कुमार एंड संस के मालिक यदुवीर सिंह ने कहा कि खाने योग्य ग्रेड से कम आकार (33 मिलीमीटर गोलाई) वाले आलू खराब होने लगे हैं। इसकी वजह से छोटे आकार के आलू की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है और आलू के खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं। सिंह खुद आलू किसान हैं और उन्होंने सरकार से आलू वायदा कारोबार शुरू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आलू वायदा की अनुमति दी थी, लेकिन 2014 में उस पर रोक लगा दी गई। वायदा कारोबार आगे की कीमत का पता लगाने का अच्छा संकेतक है। कमोडिटी एक्सचेंज में जब इसका कारोबार होता था तब कीमतों में कभी इतना ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया।

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