Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jul, 2017 03:11 PM
जी.एस.टी के लागू होने के बाद सबसे ज्यादा खुशी बिल्डर्स को हुई है। डेवलपर्स का मानना है कि इससे अभी बन रहे मकान या फिर फ्लैट
मुंबई : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत ग्राहकों को रहने के लिहाज से तैयार फ्लैट के लिये अधिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि जिन कंपनियों के पास बड़ी संख्या में पहले से तैयार बिना बिके मकान हैं उनके डेवलपर बढ़ी लागत का बोझ उसके खरीदारों पर डालने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, नए फ्लैट की लागत में कमी आएगी इससे उन डेवलपरों को राहत मिलेगी जिनकी नई परियोजनाएं आने वाली हैं या परियोजनाएं शुरूआती चरण में हैं। जी.एस.टी. के तहत निर्माणधीन परियोजनाओं पर प्रभावी कर की दर 12 प्रतिशत तक होगी। यह 6.5 प्रतिशत वृद्धि होगी।
रीयल्टी क्षेत्र पर वास्तिवक जी.एस.टी. दर 18 प्रतिशत है लेकिन डेवलपर द्वारा ली जाने वाली कुल लागत पर जिसपर कर लगाया जाएगा, जमीन की लागत का एक बड़ा हिस्सा उससे अलग रखा जायेगा। जमीन जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि जीएसटी में कच्चे माल पर भुगतान किए गए कर का पूरा लाभ (इनपुट टैक्स क्रेडिट) लेने का विकल्प है लेकिन यह तैयार फ्लैट पर लागू नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों को उच्च कर का बोझ उठाना पड़ेगा या इसका बोझ ग्राहकों पर डालना होगा अथवा नए कर की दर के हिसाब से कीमतें बढ़ानी होंगी।