Edited By ,Updated: 06 May, 2017 03:44 PM
भारत-पाकिस्तान सीमा समेत देश की अन्य सीमाओं पर इंडियन आर्मी न सिर्फ एडवांस हथियारों से लैस रहती है।
नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान सीमा समेत देश की अन्य सीमाओं पर इंडियन आर्मी न सिर्फ एडवांस हथियारों से लैस रहती है। इसके साथ ही सेना की खास कारें और जीप भी सीमा की रक्षा करने में उनकी मदद करती हैं। बॉर्डर पर पैट्रोलिंग समेत अन्य काम के लिए भारतीय सेना के पास कई दमदार कारें और जीप होती हैं। कई खास फीचर से लैस ये कारें न सिर्फ इंडियन आर्मी की शान बढ़ाती हैं, बल्कि ये हर बुरे मौसम और कठिन रास्तों को मात देने में भी माहिर होती हैं। हम आपको 6 ऐसी ही कारों और जीप के बारे में बता रहे हैं, जो कभी इंडियन आर्मी की शान थीं। इनमें से कुछ सेना के बेड़े से बाहर हो गई हैं, तो कुछ की अब सिर्फ चंद यूनिट ही सेना के पास रह गई हैं।
मारुति जिप्सी
मारुति जिप्सी सालों से भारतीय सेना का हिस्सा बनी हुई है। 90 के दशक से सेना लगातार इनकी कई यूनिट्स ऑर्डर करती रही हैं। इन कार का ज्यादातर यूज बॉर्डर के करीब होता है। इसके अलावा सेना अन्य कई जगहों पर भी इसका इस्तेमाल करती है। हालांकि अब जिप्सी की जगह टाटा सफारी ले लेगी। सेना ने पिछले साल ही टाटा मोटर्स के साथ इसके लिए 1300 करोड़ रुपए की डील की है।
विलीस जीप
विलीस जीप लंबे समय से युद्ध के दौरान भारतीय सेना की अहम साथी बनी रही। इस कार का इस्तेमाल अधिक ऊंचाई वाले और ठंडे इलाकों में सबसे ज्यादा होता था। युद्ध के दौरान यह सेना का अहम ट्रांसपोर्ट बन जाता था।
टाटा सुमो
युद्ध और आपातकालीन स्थिति में टाटा सुमो सबसे ज्यादा काम आती है। यह कार सेना की मेडिकल टीम की पहली पसंद है। सालों से सेना के बेड़े में शामिल यह कार पथरीले और पहाड़ी रास्तों पर चलने में माहिर है। यही नहीं, इस कार का इस्तेमाल सेना की टुकड़ी को लड़ाई के मैदान में भेजने के लिए भी किया जाता है।
महिंद्रा जीप
दमदार और मजबूत महिंद्रा जीप भारतीय सेना के कई मिशन में जवानों का साथ दे चुकी है। यूनाइटेड नेशंस के मिशन में भी इस कार ने भारतीय सेना का साथ दिया है।
एच.एम. अंबेसडर
अपने जमाने की सबसे खास कार एच.एम. एंबेसडर को सेना में भी खास जगह मिली हुई है। इस कार का इस्तेमाल कमांडिंग ऑफिसर्स और ब्रिगेडियर व इस ओहदे से ऊपर वाले अफ्सर यूज करते हैं। अंबेसडर ब्रांड अब बिक चुका है। हालांकि आज भी भारतीय सेना के बेड़े में इस ब्रांड की कुछ यूनिट्स मौजूद हैं। सरकार इसकी जगह दूसरी कारें खरीदने का निर्देश दे चुकी है।
जोंगा
जोंगा मतलब जबलपुर ऑर्डनेंस एंड गनकैरेज एसेंबली। इस कार को ऑटोमेकर निसान ने बनाया था। इसे सेना की जरूरतों के हिसाब से मॉडीफाई किया गया था। इसे ऑफ- रोड टास्क के लिए तैयार किया गया था। इसे अपने बेड़े में शामिल करने के बाद सेना ने इसका इस्तेमाल पैट्रोलिंग और अन्य अहम मिशन की खातिर किया था। 1963 में शामिल की गई इस कार की आखिरी यूनिट को 2009 में सेना ने अलविदा कह दिया। अब यह सिर्फ भोपाल स्थित मेमोरियल में नजर आती है।