Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 03:35 PM
देश की मैक्रो-इकनॉमिक स्थिति पर राय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दिग्गज अर्थशास्त्रियों से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में कैबिनेट के शीर्ष मंत्री, ब्यूरोक्रेट्स और प्रधानमंत्री की इकनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य भी हिस्सा लेंगे।...
नई दिल्लीः देश की मैक्रो-इकनॉमिक स्थिति पर राय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दिग्गज अर्थशास्त्रियों से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में कैबिनेट के शीर्ष मंत्री, ब्यूरोक्रेट्स और प्रधानमंत्री की इकनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य भी हिस्सा लेंगे। यह मीटिंग बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के अंतिम पूर्ण बजट पेश करने से पहले होने जा रही है। हाल के डेटा से इकॉनमी में और मंदी आने का संकेत मिला है। देश में अगला लोकसभा चुनाव 2019 में होना है।
GDP बढ़ने का अनुमान
स्टैटिस्टिक्स ऑफिस ने पिछले सप्ताह 2017-18 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान दिया था। यह चार वर्षों में इकॉनमी की सबसे कम ग्रोथ होगी। पिछले वर्ष जीडीपी ग्रोथ 7.1 फीसदी की थी। कम ग्रोथ के अनुमान के पीछे ऐग्रिकल्चर और मैन्युफैक्चरिंग में धीमी ग्रोथ जैसे कारण हैं। हालांकि, अनुमानों से दूसरी छमाही में ग्रोथ बढ़कर 7 फीसदी होने का संकेत मिला है, जो पहली छमाही में 6 फीसदी की थी। हाल के डेटा से कोर सेक्टर, पी.एम.आई. और कार सेल्स में भी रिकवरी का पता चला है।
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
प्रधानमंत्री की अर्थशास्त्रियों के साथ मीटिंग बंद दरवाजे में होने की उम्मीद है। इसमें अर्थशास्त्री इकनॉमिक ग्रोथ में रुकावट डालने वाले कारणों की जानकारी दे सकते हैं और उन सेक्टर्स के लिए अपने सुझाव बता सकते हैं जिनमें ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। इसमें अर्थशास्त्री टैक्सेशन और टैरिफ से संबंधित मामलों, एजुकेशन, डिजिटल टेक्नॉलजी, हाउसिंग, टूरिज्म, बैंकिंग और ग्रोथ बढ़ाने के लिए भविष्य के कदमों पर अपनी राय दे सकते हैं। सरकार मोदी के न्यू इंडिया 2022 के विजन को लेकर भी लघु-अवधि और लंबी-अवधि के उपायों पर राय मांगी। इनमें से कुछ उपायों को एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में शामिल किया जा सकता है।