आरक्षित डिब्बे में घुसे यात्री, रेलवे को  देना पड़ा 30,000 रुपए मुआवजा

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2017 12:07 PM

railway compensation of rs 30 000

दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग (कंज्यूमर फोरम) ने कहा कि रेल के आरक्षित डिब्बे में अनधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश रोकना रेलवे अधिकारियों की ड्यूटी है और ऐसा करने में उनकी विफलता सेवा में कोताही जैसा है।

नई दिल्ली: दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग (कंज्यूमर फोरम) ने कहा कि रेल के आरक्षित डिब्बे में अनधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश रोकना रेलवे अधिकारियों की ड्यूटी है और ऐसा करने में उनकी विफलता सेवा में कोताही जैसा है। 

राज्य आयोग ने यह बात एक व्यक्ति और उसके परिवार को 30,000 रुपए मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कही। इस व्यक्ति ने एक आरक्षित डिब्बे में अनधिकृत यात्रियों के कारण खुद को हुई असुविधा के चलते मुआवजे की मांग की थी। 

क्या था मामला
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने उत्तर रेलवे को दिल्ली के निवासी देवकांत और उसके परिवार को राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इससे पहले मुआवजे की उनकी मांग को जिला फोरम ने खारिज कर दिया था। देवकांत द्वारा दायर शिकायत के मुताबिक वह और उनका परिवार 20 अक्तूबर, 2009 को मूरी एक्सप्रैस के एक आरक्षित डिब्बे में अमृतसर से दिल्ली की यात्रा कर रहे थे। यात्रा के दौरान लुधियाना रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ आरक्षित डिब्बे में घुस आई और जबरदस्ती आरक्षित सीटों, ट्रेन के फर्श के साथ-साथ बाथरूम में भी बैठ गई जिससे रास्ता अवरुद्ध हो गया।

क्या कहा आयोग ने
आयोग के प्रमुख न्यायाधीश वीना बीरबल ने बताया, ‘‘रेलवे अधिकारी आरक्षित डिब्बे में अनधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश रोकने में असफल रहे जो रेलवे की सेवा में कोताही जैसा है और जिसके चलते शिकायतकत्र्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ से गुजरना पड़ा।’’ आयोग ने यह भी कहा कि रेलवे की यह ड्यूटी है कि वह सिर्फ अधिकृत व्यक्तियों को ही ट्रेन में यात्रा करने की इजाजत दे।

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